बुनते-बुनते ताना-बाना, कोई जीवनभर रहा पस्त।। परिणय बन्धन जब से बाँधा,हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। कुछ ऐसे भी हैं भाग्यवान, जिनके साथी करुणानिधान, गाते दिन-प्रतिदिन मधुर गान, जीवनभर रहते सदा मस्त। हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। कुछ को फूलों का ताज मिला, कुछ को काँटों की राज मिला, कुछ को नहीं कोई काज मिला, कुछ अपनों से हो गये त्रस्त। हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। कोई दौलत में खेल रहा, कोई विपदाएँ झेल रहा, कोई पापड़ को बेल रहा, सब कीर्तिमान हो गये ध्वस्त। हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। कुछ भूतल पर सो जाते है, कुछ गद्दों पर अकुलाते हैं, कुछ काँटों में मुस्काते हैं, पश्चिम में होता सूर्य अस्त। हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। |
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मंगलवार, 14 दिसंबर 2010
"प्रणय का पथ प्रशस्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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कुछ ऐसे भी हैं भाग्यवान,
जवाब देंहटाएंजिनके साथी करुणानिधान,
गाते दिन-प्रतिदिन मधुर गान,
जीवनभर रहते सदा मस्त।
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।।
आज तो बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है ……………सभी तरह के भावो को संजो दिया है……………बधाई।
कुछ भूतल पर सो जाते है,
जवाब देंहटाएंकुछ गद्दों पर अकुलाते हैं,
wah.kitna saral,kitna sahaj itna bada saach.
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त। मनभावन रचना है, बधाई।
जवाब देंहटाएंअत्यंत मधुर गीत..
जवाब देंहटाएंjeevan ki visangatiyon ko samete huye ...
जवाब देंहटाएंek sumdhur geet..
कविता के कुछ मिसरे बहुत ख़ूबसूरत बने हैं ,पर एक दो मिसरों में कान्ट्रावर्सी झलक रही है और कथ्य
जवाब देंहटाएंउलझा उलझा लग रहा है।
bhavbhari sundar rachana .
जवाब देंहटाएंसार्थक और समसमायिक कविता है. जीवन की विसंगतियों का सुन्दर चित्रण पढ़कर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंआदरणीय डा.मयंक जी,
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद एक अच्छा गीत पढने को मिला !
गीत की इन पंक्तियों ने तो मन को अन्दर तक सिंचित कर दिया!
कुछ भूतल पर सो जाते है,
कुछ गद्दों पर अकुलाते हैं,
कुछ काँटों में मुस्काते हैं,
पश्चिम में होता सूर्य अस्त।
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।।
साभार ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बहुत सुंदर। वैसे मौसम भी प्रणय का ही चल रहा है। अच्छा लगा पढ कर।
जवाब देंहटाएं---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
कोई दौलत में खेल रहा,
जवाब देंहटाएंकोई विपदाएँ झेल रहा,
कोई पापड़ को बेल रहा,
सब कीर्तिमान हो गये ध्वस्त।
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।।
क्या सच्ची और सुन्दर बात कही !
यही जिन्दगी की विचित्रतायें हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत सही !!
जवाब देंहटाएंजीवन की विसंगतियों को बताती अच्छी रचना ...खूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंवाह, नया विषय, जीवन के बिम्बों से जुड़ा।
जवाब देंहटाएंमुकम्मल जहां की तलाश में हम सब!
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत ही सुंदर, आज तो लगा जेसे कोई गीत गुन गुना रहे हो, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंkhoobsurat prastutu shastri ji!!
जवाब देंहटाएंकुछ को फूलों का ताज मिला,
जवाब देंहटाएंकुछ को काँटों की राज मिला,
कुछ को नहीं कोई काज मिला,
कुछ अपनों से हो गये त्रस्त।
हो गया प्रणय का पथ प्रशस्त।। प्रणय की बाद घर परिवार के दुख सुखों का सुन्दर वर्णन । बधाई।
बहुत खूबसूरत एहसास...बधाई.
जवाब देंहटाएं'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.
एकदम सत्य कहा आपने,यह पथ तो ऐसा ही है....
जवाब देंहटाएंकोमल सुन्दर प्रवाहमयी मन मुग्ध करती अतिसुन्दर रचना...
सुन्दर!
जवाब देंहटाएं