हिन्दी ने बहुत सताया है। अंग्रेजी की देख जटिलता, मेरा मन घबराया है।। भूगोल और इतिहास मुझे, बिल्कुल भी नही सुहाते हैं। श्लोकों के कठिन अर्थ, मुझको करने नही आते हैं।। देखी नही किताब उठाकर, खेल-कूद में समय गँवाया, अब सिर पर आ गई परीक्षा, माथा मेरा चकराया।। बिना पढ़े ही मुझको, सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं। किस्से और कहानी से ही, कागज-कॉपी भरने हैं।। नाहक अपना समय गँवाया, मैं यह खूब मानता हूँ। स्वाद शून्य का चखना होगा, मैं यह खूब जानता हूँ।। तन्दरुस्ती के लिए खेलना, सबको बहुत जरूरी है। किन्तु परीक्षा की खातिर, पढ़ना-लिखना मजबूरी है।। |
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रविवार, 27 फ़रवरी 2011
"परीक्षा की खातिर..." (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद बाल गीत ...
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
कितने सरल शब्दों मे आपने सीख दी है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
बच्चों के मन की बातें लिख दीं..! बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंekdam nishchal bal-kavita.bahut sundar.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! बाल मन को सीख देने वाली उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई। इस शमा को जलाए रखिए।
जवाब देंहटाएंसद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सरल और ग्राह्य शब्दों में बालकविता कहना आपकी खूबी है. बढ़िया है ये बाल कविता.वाह, शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबच्चों को सन्देश देती हुई सुंदर रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सीख भरी रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! बाल मन को सीख देने वाली उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई!बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद!
जवाब देंहटाएंsaras ,sunder bal geet
जवाब देंहटाएंआपकी बाल कवितायें बचपन की याद दिला देती हैं।
जवाब देंहटाएंहर बार नये शब्द कहां से लाऊं..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमुश्किल हैं विज्ञान, गणित,
जवाब देंहटाएंहिन्दी ने बहुत सताया है।
अंग्रेजी की देख जटिलता,
मेरा मन घबराया है।। ...
वाह! बचपन याद दिला दिया आपने....
हार्दिक आभार!
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंबालकविता लाजवाब है...
bachpan ki yaad dilaata khoobsurat baal geet
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