आज अपना हम सँवारें, कल सँवर ही जायेगा आप सुधरोगे तो सारा, जग सुधर ही जाएगा जो अभी कुछ घट रहा है, वही तो इतिहास है देखकर नक्श-ए-कदम को, रथ उधर ही जाएगा रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना आओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा एकता और भाईचारे में, दरारें मत करो वरना ये गुलदान पल भर में, बिखर ही जाएगा चमन में फूलों का सबको “रूप” भाता है बहुत गर मिलेगी गन्ध तो, भँवरा पसर ही जाएगा |
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सोमवार, 25 जुलाई 2011
“पथ निखर ही जाएगा” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा और हाज के हालात मे सही बैठने वाली गजल
जवाब देंहटाएंएकता और भाईचारे में, दरारें मत करो
जवाब देंहटाएंवरना ये गुलदान पल भर में, बिखर ही जाएगा
बहुत सुंदर, प्रेरणादायी ग़ज़ल।
आज अपना हम सँवारें, कल सँवर ही जायेगा
जवाब देंहटाएंआप सुधरोगे तो सारा, जग सुधर ही जाएगा
जरूरत खुद के सुधरने की है...
बहुत बढ़िया...
रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना
जवाब देंहटाएंआओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा... बहुत सुन्दर शब्दों से भाव को पिरोया है .आभार...
रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना
जवाब देंहटाएंआओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा
एकता और भाईचारे में, दरारें मत करो
वरना ये गुलदान पल भर में, बिखर ही जाएगा..
बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत चित्र के साथ लाजवाब रचना!
प्रेरणा दायी कविता पर मनन किया जाए तो निश्चय ही भविष्य को संवारा जा सकता है.
जवाब देंहटाएंaap se zara see bhee koi seekh le le....uska jeevan nikhar jaayega!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंbahut sunder seekh deti hui rachna...
जवाब देंहटाएंआप सुधरोगे तो सारा, जग सुधर ही जाएगा
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही
पहली दो पंक्तियां पूरी गजल की जान हैं...
जवाब देंहटाएंbahut khoob shastri ji !
जवाब देंहटाएंbehtreen gazal....
जवाब देंहटाएंजो अभी कुछ घट रहा है, वही तो इतिहास है
जवाब देंहटाएंदेखकर नक्श-ए-कदम को, रथ उधर ही जाएगा
रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना
आओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा
samajik chintan, desh ke nav nirman ko disha dene wali..umda ghazal...hardik badhai ke sath
शानदार था भूत, भविष्य भी महान है,
जवाब देंहटाएंयदि सुधार लें आप जो वर्तमान है।
रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना
जवाब देंहटाएंआओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा
sunder ghazal
शानदार प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
सर ,
जवाब देंहटाएंमैंने 'अमृत कलश ' नाम से एक ब्लॉग अपनी मम्मी ज्ञानवती सक्सेना किरण की बाल उपयोगी रचनाओं को सब तक पहुचाने के लिए छोटा सा प्रयत्न किया है |कृपया ब्लॉग पर आकार अनुगृहित करें |
आशा
बहुत ही सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंवाह वाह सर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा बातें कही आपने...
सादर....
सकारात्मक सोच के साथ ही अच्छी प्रस्तुति ................आभार
जवाब देंहटाएंएकता और भाईचारे में, दरारें मत करो
जवाब देंहटाएंवरना ये गुलदान पल भर में, बिखर ही जाएगा
सुन्दर संदेश देती शानदार रचना।
maaf kijiye padhne me der ho gayi.bahut bahut uttam rachna hai yah to.jitni taareef karo kam hai.aapko badhaai.
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