स्नेह से बढ़ता हमेशा स्नेह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही, स्नेह बिन पुर्जा कोई चलता नही, आत्मा के बिन अधूरी देह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! पीढ़ियाँ हैं आज भूखी प्यार की, स्नेह ही तो डोर है परिवार की, नेह से ही खिलखिलाते गेह हैं! प्यार का आधार केवल नेह है!! नेह से बनते मधुर सम्बन्ध हैं, नफरतों के नष्ट अंकुर को करो, कुटिलता से टूटते अनुबन्ध हैं, मधुरता सबसे बड़ा अवलेह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! हसरतों में प्यार का पानी भरो, दोस्ती का शत्रु ही सन्देह है! प्यार का आधार केवल नेह है!! |
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रविवार, 17 जुलाई 2011
"प्यार का आधार केवल नेह है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
जवाब देंहटाएंस्नेह बिन पुर्जा कोई चलता नही,
आत्मा के बिन अधूरी देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
जीवन का दर्शन समा गया.
नेह से बनते मधुर सम्बन्ध हैं,
जवाब देंहटाएंकुटिलता से टूटते अनुबन्ध हैं,
मधुरता सबसे बड़ा अवलेह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
च्यवनप्राश अवलेह में मधुरता न डाली जाये तो कौन चाटे.आपकी प्रस्तुति में भी मधुरता का अवलेह है.
बार बार चाटने को मन करता है.
आज की कवि गोष्ठी की रिपोर्ट का इंतजार रहेगा शास्त्री जी.
शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
जवाब देंहटाएंस्नेह बिन पुर्जा कोई चलता नही,
आत्मा के बिन अधूरी देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
vah keya keha hai aap ne
बहुत ही खुबसूरत भाव अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंनेह से बनते मधुर सम्बन्ध हैं,
जवाब देंहटाएंकुटिलता से टूटते अनुबन्ध हैं,
मधुरता सबसे बड़ा अवलेह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!! bahut achchi baat likhi hai Shastri ji.bina neh ke jeevan me kuch bhi nahi.jindgi har kadam par pyaar ka saath chahti hai.nimantran ke liye abhar apki goshthi ki charcha ka intjaar rahega.
सब जीवों में परस्पर यह नेह बना रहे।
जवाब देंहटाएंनफरतों के नष्ट अंकुर को करो,
जवाब देंहटाएंहसरतों में प्यार का पानी भरो,
हर पंक्ति सुभाषित ही तो है ||
बधाई ||
अच्छा गीत, कवि सम्मेलन शानदार हो. पहले से ही बधाई..
जवाब देंहटाएंएक सुंदर सकारात्मक रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फ़रमाया आपने काश! यह नेह सदैव बना रहे
जवाब देंहटाएंdr.saheb,neh par doctori-yukt shabdabali m rachana prabhawit karane wali rahi sadhuwad
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत ही सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंशुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
जवाब देंहटाएंस्नेह बिन पुर्जा कोई चलता नही,
आत्मा के बिन अधूरी देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति.आभार
yeh neh hee ek doosre ke qareeb laata hai...
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत् है....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2011/07/blog-post.html
बिल्कुल सही फ़रमाया प्यार का आधार सिर्फ़ नेह है और ज़िन्दगी का भी।
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल सच बात! प्यार का आधार तो नेह ही है....
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
आपके ब्लॉग को अपने लिंक को देखने के लिए कलिक करें / View your blog link के "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
नेह बरसता रहे....सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंप्यार का आधार केवल नेह है!!
जवाब देंहटाएंनेह ही वो फुल है जो सदैव खुशबु देता हैं ???
शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंवंदना ||
गोष्ठी का सफल आयोजन
बधाई ||
जहाँ -जहाँ साहित्यिक सूखा |
वहां -वहां शास्त्री जी बरसो ||
स्वस्थ और खुशहाल रहें नित
नाती-पोते संग वर्षों हरसो ||
पीढ़ियाँ हैं आज भूखी प्यार की,
जवाब देंहटाएंस्नेह ही तो डोर है परिवार की,
नेह से ही खिलखिलाते गेह हैं!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! भावपूर्ण रचना!
दोस्ती का शत्रु ही सन्देह है!
जवाब देंहटाएंप्यार का आधार केवल नेह है!!
bahut sunder rachna ....
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
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