गंगा, यमुना-शारदा, का संगम अभिराम। श्रम, बुद्धि औ’ ज्ञान से, बनते सारे काम।1। ले जाता है गर्त में, मानव को अभिमान। जो घमण्ड में चूर हैं, उनको गुणी न जान।2। चूहा कतरन पाय कर, थोक बेचता वस्त्र। अज्ञानी ही घोंपता, ज्ञानवान को शस्त्र।3। हो करके निष्काम जो, बाँट रहा है ज्ञान। कोशिश करता वो यही, मिट जाए अज्ञान।4। जो भी असली शिष्य हैं, वो गुरुओं के भक्त। जो कृतघ्न थे हो गये, पाकर हुनर विरक्त।5। जब जग को लगने लगा, डूब रही है नाव। बिन माँगे देने लगे, अपने कुटिल सुझाव।6। बात-चीत से धुल गये, मन के सब सन्ताप। गुरू-शिष्य अब मिल गये, रहा न पश्चाताप।7। |
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शुक्रवार, 22 जुलाई 2011
"दोहा सप्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत-बहुत आभार है,
जवाब देंहटाएंगुरुजन बड़े महान,
त्रुटियाँ सशोधित हुईं,
बढ़ी मंच की शान ||
सार्थक सन्देश देते बहुत सुन्दर दोहे..आभार
जवाब देंहटाएंachcha gyaan dete hue sunder dohe.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंजो भी असली शिष्य हैं, वो गुरुओं के भक्त।
जवाब देंहटाएंजो कृतघ्न थे हो गये, पाकर हुनर विरक्त।
सच कहा है....
हर दोहा कीमती मोती है !
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंले जाता है गर्त में, मानव को अभिमान।
जवाब देंहटाएंजो घमण्ड में चूर हैं, उनको गुणी न जान।2।
बहुत खूब कहा है आपने
thanks for spreading such a great message ...
जवाब देंहटाएंप्रिय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
ले जाता है गर्त में, मानव को अभिमान।
जो घमण्ड में चूर हैं, उनको गुणी न जान।
लेकिन ऐसे कुंठित मिल ही जाते हैं … नेट पर भी मिले हैं … और उन्हें गुणी समझने का भ्रम भी टूटा है … :)
सारे दोहे अच्छे हैं …
( लेकिन 'अज्ञानी ही भोंकता' में भोंकता की जगह घौंपता करदें तो अर्थ अधिक स्पष्ट हो जाएगा । )
मैंने भी ताज़ा पोस्ट में दोहे लगाए हैं … मैंने लिखा है -
अल्लाहो-अकबर कहें ख़ूं से रंग कर हाथ !
नहीं दरिंदों से जुदा उन-उनकी औक़ात !!
दाढ़ी-बुर्के में छुपे ये मुज़रिम-गद्दार !
फोड़ रहे बम , बेचते अस्लहा-औ’-हथियार !!
सारे दोहे पढ़ने के लिए आइएगा और आ'कर विचार रखिएगा …
हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ऐसा गुरु कहाँ पाईये,जैसा कहे कबीर.
जवाब देंहटाएंगुरु हो गया लालची,जेब से रखे सीर.
डॉ.साहेब कम शब्दों में गहरी बात कही .साधुवाद
bबहुत अच्छे और प्रेरक दोहे।
जवाब देंहटाएंअच्छे दोहें हैं
जवाब देंहटाएंलगता है कोई गूड (गहन) बात छिपी है इनमें.
सभी दोहे बहुत अच्छे और इस दोहे-
जवाब देंहटाएं"बात-चीत से धुल गये, मन के सब सन्ताप।
गुरू-शिष्य अब मिल गये, रहा न पश्चाताप।7।"
के लिए मेरी विशेष टिप्पणी है कि ‘‘चलो बहुत अच्छा हुआ’’...सादर
बहुत ही सारगर्भित दोहे.आभार.
जवाब देंहटाएंकुछ इसी संदर्भ में(दोहा क्र.6) एक प्रयास-
बात-बात में ज्ञान जतावें,अर्थ बतावे गूढ़
ऐसों से बच कर रहें , ये होते हैं मूढ़.
अटपटे सवाल चटपटे जवाब
जवाब देंहटाएं(१)यदि आपको टाइम मिल जाये तो ?
-तो उसको "टाई"(बाँध कर)करके सम्भाल कर रख लूँगा
(२) कभी-कभी मेरे हाथ में पैन आता है ,क्या करूँ ?
-पैन से दूसरों का पेन दूर करने की कोशिश करें
(३)जंगल में मोर नाचता है,मोरनी क्यों नहीं ?
-वो नाच देखने में मस्त होकर नाचना ही भूल जाती है
(४)जोगा सिंह जी मितरां दा नां(नाम)चलदा, क्यों ?
-क्योंकि पेट्रोल का खर्चा तो आता ही नहीं
(५) घोड़ी पर बैठकर लड़का क्या सोचता है ?
-लड़की पहले ही देख रखी है,ससपेंस तो ख़तम हो चुका है
(६)बच्चे भगवान को याद क्यों नहीं करते ?
-वे खुद ही भगवान होतें हैं.
(७)आदमियों के सींग क्यों नहीं होते ?
-आदमियों के होते तो,महिलाएं भी सींग मांगती.भगवान के पास
सींग कम थे कहाँ से देते ,बेचारे कई पशु भी सींग बिना रह गए.
(८)जो किसी ना डरे ,उसे कैसे डराया जाये ?
-ये काम तो छोटा सा बच्चा ही कर लेगा जी
(९)सर्दी में पसीना आये तो क्या करें ?
-जोगिंग छोड़कर पसीना पौंछ लो
(१०)जोगी जी मुझे किसी से प्यार हो गया है,क्या करूँ ?
-आपके करने लायक और कुछ बचा ही नहीं
(more>>>>http://atapatesawalchatpatejawab.blogspot.com)
aashirwad dene ki kripa karen
बड़ी ही ज्ञानप्रद पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंsaarthak dohe.bahut sundar,gyaan vardhak.badhaai apko.
जवाब देंहटाएंपूर्ण विराम पूर्ण विराम मचा हुआ कोहराम
जवाब देंहटाएंत्राहिमाम चिल्लाते आपके मित्र शिष्य तमाम
क्षमा बड़न को चाहिये छोटन को अपराध
अब बंद हो ये तीर चलाना कर निशाना साध
"अज्ञानी ही घोंपता, ज्ञानवान को शस्त्र"
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने.
achchhi rachna !!!
जवाब देंहटाएंआजकल ज़मीनों और कमीनों का ज़माना है
उत्तम दोहे|
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे... बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे और प्रेरक दोहे।
जवाब देंहटाएं