पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार।
बिना आपके हो गया, मम् जीवन दुश्वार।।
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बचपन मेरा खो गया, हुआ वृद्ध मैं आज।
सोच-समझकर अब मुझे, करने हैं सब काज।।
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जब तक मेरे शीश पर, रहा आपका हाथ।
लेकिन अब आशीष का, छूट गया है साथ।।
मेरी माता हो रहीं, आज शोक से ग्रस्त।
बिना आपके हो रहा, उनका धीरज पस्त।।
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प्रभु मुझको बल दीजिए, उठा सकूँ मैं भार।
एक-नेक बनकर रहे, मेरा ये परिवार।।
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शनिवार, 2 अगस्त 2014
"बचपन मेरा खो गया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अत्यंत भावपूर्ण रचना ! श्रद्धेय पिताजी को शत-शत नमन !
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण श्रद्धांजलि |
जवाब देंहटाएं: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
नई पोस्ट माँ है धरती !
behad marmsprshi ...naman
जवाब देंहटाएंशोकाकुल परिवार को सम्वेदनायें...
जवाब देंहटाएं