धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार।
घर में लाओ आज कुछ, नये-नये उपहार।।
झालर-दीपों से सजे, आज सभी के गेह।
मन के नभ से आज तो, बरसे मधुरिम नेह।।
रहे हमेशा देश में, उत्सव का माहौल।
मिष्ठानों का स्वाद ले, बोलो मीठे बोल।।
सरस्वती के साथ हों, लक्ष्मी और गणेश।
तब आएगी सम्पदा, सुधरेगा परिवेश।।
उल्लू बन जाना नहीं, पाकर द्रव्य अपार।
धन के साथ मिले सदा, मेधा का उपहार।।
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मंगलवार, 21 अक्टूबर 2014
"धनतेरस पर कुछ दोहे" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ ,अति सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे। दीपावली शुभ हो !
जवाब देंहटाएंज्योतिपर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई धन-तेरस और दिवाली की ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे हैं सभी ....
सुन्दर दोहे के साथ भगवान धन्वन्तरि जयंती और शुभ दीपावली
जवाब देंहटाएंhttp://pratibimbprakash.blogspot.com/2014/10/Dnwantri-Thrayodashi-has-become-a-shelter-the-Diwali.html
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार- 22/10/2014 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 39 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
सभी दोहे सुन्दर।
जवाब देंहटाएंदीपावली के पर्व पर त्योहारों की श्रृंखला आपको मुबारक हो।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
सुंदर और सार्थक दोहे...दीपोत्सव की शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं