बच्चों
पर होते जहाँ, बन्दूकों के वार।।
ऐसे ज़ुल्मी
मुल्क में, रहना है दुश्वार।।
--
इस घटना को देख कर, सबको है अफसोस।।
जो हत-आहत हो गये, उनका क्या था दोष।।
--
देश
विभाजन के समय, धरा नाम था पाक।
लेकिन
क्यों आतंक को, पाल रहा नापाक।।
--
दहशतगर्दों
को सदा, देता रहा पनाह।
आज
सामने आ गया, उसके वही गुनाह।।
--
उग्रवाद
के संगठन, करते गन्दे काज।।
इनका
पूरे जतन से, करो सफाया आज।।
--
शस्त्र
नहीं पहचानता, राजा हो या रंक।
उग्रवादियों का रहा, कर्म सदा आतंक।।
--
आवारा है जानवर, कस दो आज लगाम।
कोरी निन्दा से नहीं, आज चलेगा काम।।
--
बाल-वृद्ध औ’ नारि तो, हैं
असहाय निरीह।
ऐसा करो उपाय कुछ, रहें सुरक्षित जीव।।
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मन का मैल मिटाय कर, करे अगर सत्कर्म।
पाक-पाक बन जायेगा, अगर समझ ले मर्म।।
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बुधवार, 17 दिसंबर 2014
"दोहे-आतंक को पाल रहा नापाक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पाक-पाक बन जायेगा------- अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंbilkul sahi likha hai apne, dil hila dene wali ghtna hai ye.
जवाब देंहटाएंकल 18/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-12-2014 को चर्चा मंच पर क्रूरता का चरम {चर्चा - 1831 } में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
सार्थक और समयानुकूल...
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur sarthak dohe ....... sabhi dohe karara jabab hai ..
जवाब देंहटाएंउग्रवाद के संगठन, करते गन्दे काज।।
जवाब देंहटाएंइनका पूरे जतन से, करो सफाया आज।।
शस्त्र नहीं पहचानता, राजा हो या रंक।
उग्रवादियों का रहा, कर्म सदा आतंक।।
..सच कहा आपने उग्रवादियों का कोई दीनो धर्म नहीं नहीं फिर उनको क्यों बक्शा जाय ..
क्या कोई बता सकता है ऐसे दरिंदों का मज़हब ????
जवाब देंहटाएंदहशतगर्दों को सदा, देता रहा पनाह।
जवाब देंहटाएंआज सामने आ गया, उसके वही गुनाह...ये भी बिल्कुल सही है। बहुत अच्छा लिखा आपने।