"गिलहरी"
बैठ मजे से मेरी छत पर,दाना-दुनका खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
मैं मूँगफली दिखलाता हूँ,
कट्टो-कट्टो कहकर तुमको,
जब आवाज लगाता हूँ,
कुट-कुट करती हुई तभी तुम,
जल्दी से आ जाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
नाम गिलहरी, बहुत छरहरी, आँखों में चंचलता है, अंग मर्मरी, रंग सुनहरी, मन में भरी चपलता है, हाथों में सामग्री लेकर, बड़े चाव से खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
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"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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मंगलवार, 23 दिसंबर 2014
"सबके मन को भाती हो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत .. गिलहरी की चंचलता को बाखूबी कैद किया है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर गीत " गिलहरी" पर पढ़ा अब तक का सबसे बेहतरीन बाल गीत
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर ---
दुनियां की सभी माओं के आंसू ----
सुंदर बाल गीत "
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल गीत .....
जवाब देंहटाएंक्या बात है , सुंदर !!
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंभूलना चाहता हूँ !
प्यारी गिलहरी की बहुत प्यारी कविता .
जवाब देंहटाएं