सात समन्दर पार से, आया एक विमान।
स्वागत करने में जुटा, भारतीय परिधान।१।
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कुछ घण्टों के बाद ही, बदला सरल लिबास।
महँगे कपड़े पहन कर, आम हो गया खास।२।
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बदल न पाये आज भी, निर्धन की तकदीर।
राजनीति के सन्त की, बदल गयी तसबीर।३।
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महामहिम के भोज की, थी सुन्दर तसबीर।
अन्तकाल तक भी यहाँ, छाया रहा वज़ीर।४।
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बन्द गले के सूट की, महिमा अपरम्पार।
भारत के प्रति हो गया, अमेरिका को प्यार।५।
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सोमवार, 2 फ़रवरी 2015
"दोहे-भारतीय परिधान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बढिया कवितामय व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंsamay samay ki bat hai ...sundar rachna ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंवाह :)
जवाब देंहटाएंइसकी फेमिली का कलर तो देखो, अमेरिकी इसी लिए दिन में भी बिजली जलाते हैं.....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंAti Sunder
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक
जवाब देंहटाएं