झाड़ुएँ सवाँर लो।
राह को बुहार लो।।
वक्त आज आ गया
“रूप” आज भा गया
आम आदमी तो आज
फिर से ताज पा गया
लक्ष्य को पुकार लो।
झाड़ुएँ सवाँर लो।
ढंग नये आ गये
रंग नये छा गये
आज फिर समाज को
आप नये भा गये
केँचुली उतार लो।
राह को बुहार लो।।
भा गयीं निशानियाँ
छा गयीं कहानियाँ
जिन्दगी की धार में
आ गयी रवानियाँ
“रूप” को निखार लो।
राह को बुहार लो।।
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गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015
"नवगीत-राह को बुहार लो, झाड़ुएँ सवाँर लो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (13.02.2015) को "भावना और कर्तव्य " (चर्चा अंक-1888)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजब गांधी जी का 'भारत छोड़ो' आंदोलन हिंसक हो गया , नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान पर कब्जा कर लिया तथा नेवी व एयर फोर्स में विद्रोह हो गया तब स्पष्ट हो गया था कि अब ब्रिटिश साम्राज्य को ज्यों का त्यों कायम नहीं रखा जा सकता है। अतः भारत -विभाजन का अमेरिकी प्रस्ताव अमल में लाया गया और पाकिस्तान सीधे-सीधे अमेरिकी प्रभाव में शुरू से ही चला गया जबकि भारत को प्रभावित करने की कोशिशें जारी रहीं और 1980 में RSS के समर्थन से इन्दिरा जी की सत्ता वापिसी से यह कार्य सुगम हो गया। 1991 में मनमोहन सिंह जी के वित्तमंत्री बनने के साथ-साथ भारत में अमेरिकी प्रभाव बढ़ता चला गया और आज केंद्र में RSS नियंत्रित अमेरिका समर्थक सरकार सत्तासीन है जिसका प्रमाण गणतन्त्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति को आमंत्रित्त करके सार्वजनिक रूप से दे भी दिया गया था। अब इसका विकल्प भी अमेरिका समर्थक ही हो इसकी तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही हैं जिसके अंतर्गत केजरीवाल को रोपा और सींचा जा रहा है। केंद्र सरकार ने एक पूर्व 'रा' अधिकारी से केजरीवाल को 'नक्सलवादी' होने का प्रमाणपत्र दिला दिया है जिससे अभिभूत होकर विभिन्न कम्युनिस्ट गुटों ने केजरीवाल को सिर-माथे पर बैठा लिया है और और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं। जागरूक कम्युनिस्ट नेता व कार्यकर्ता इस ओर इंगित कर रहे हैं। किन्तु जिम्मेदार कम्युनिस्ट पदाधिकारी गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करके केजरीवाल की जीत का जश्न मना कर कम्यूनिज़्म को भारत में दफन करने की कोशिशों को बल प्रदान कर रहे हैं।http://communistvijai.blogspot.in/2015/02/blog-post_12.html
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...
हटाएंPLEASE VISIT@चन्दन सा बदन
जनतंत्र में नागरिकों की सजगता के बिना सब कुछ ठीक रहना मुश्किल हो जाता है.आपका कथन उचित है .
जवाब देंहटाएं