देश-दुनिया में पसरा हुआ
हर्ष हो,
देशभक्ति के ज़ज़्बे का
उत्कर्ष हो।
धानी धरती हमेशा रहे
उर्वरा,
आप सबको मुबारक नया वर्ष
हो।।
--
देखो फिर से आ गया, नया-नवेला
साल।
आशाएँ मन में जगीं,
सुधरेंगे अब हाल।।
--
होगा नूतन साल में, जीवन
में उल्लास।
पल भर में ही हो गया, गया
साल इतिहास।।
--
नये साल में सभी से, हों
अच्छे सम्बन्ध।
जिससे हो सबका भला, करें वही
अनुबन्ध।।
--
अपना भारत देश तो, माँगे
सबकी खैर।
किसी देश से भी कभी, नहीं
चाहता बैर।।
--
चैन-अमन होते सदा, जीवन के
पर्याय।
आतंकी आयें नहीं, ऐसे करो
उपाय।।
|
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रविवार, 1 जनवरी 2017
एक मुक्तक-पाँच दोहे "नववर्ष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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