बादल
धरती का आँचल धोते हैं।
बादल तो बादल होते हैं।।
नभ में हमें दिखाई देते,
निर्मल जल का सिन्धु समेटे,
लेकिन धुआँ-धुआँ होते हैं।
बादल तो बादल होते हैं।।
बल के साथ गरजते रहते,
दल के साथ लरजते रहते,
यो तो यहाँ-वहाँ होते हैं।
बादल तो बादल होते हैं।।
चन्द्र-सूर्य का तेज घटाते,
इनसे तारागण ढक जाते,
बादल जहाँ-जहाँ होते हैं।
बादल तो बादल होते हैं।।
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शुक्रवार, 20 जनवरी 2017
बालगीत "इसे मैंने पचास साल पहले लिखा था" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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