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बेहतरीन और दुर्लभ यादें.. अत्यंत सुन्दर संस्मरण आदरणीय .
जवाब देंहटाएंमनमोहक संस्मरण। सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते , आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 24 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं......
सादर
रेणु
वाह!सर ,बहुत सुंदर संस्मरण 👌👌 सही है अब वो पहले जैसा स्नेह भाव कहाँ ?
जवाब देंहटाएंपहले के जमाने को जानने को मिला।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
आज फिर से इस संस्मरण को पढ़कर यही कह सकती हूँ - जाने कहाँ गए वो दिन !!!
जवाब देंहटाएंसादर नमन आदरणीय शास्त्रीजी
लाजवाब संस्मरण....
जवाब देंहटाएंअब जमाना बहुत बदल गया है। स्वागत सत्कार मात्र चाय और नमस्ते तक ही सिमट कर रह गया है। आज तो वह निश्छल प्यार और नाते-रिश्तों के मतलब ही बदल गये हैं। कितना अन्तर हो है उस समय के जमाने में और आज के जमाने में।
एकदम सटीक...