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सावन आने पर धरा, करती है शृंगार।
हरा-भरा परिवेश है, सावन का उपहार।१।
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चोटी-बिन्दी-मेंहदी, आपस में बतियाय।
हर्ष और अनुराग में, सुहागिनें बौराय।२।
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तीजों के त्यौहार पर, कर सोलह सिंगार।
आज नारियाँ हर्ष से, गातीं मेघ-मल्हार।३।
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आँगन में झूले पड़े, झूल रहीं हैं नार।
घेवर-फेनी से सजा, हलवाई बाजार।४।
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नागपञ्चमी पर लगी, देवालय में भीड़।
कानन में सब खोजते, नागदेव के नीड़।५।
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सोमवार के दिन सभी, मन्दिर जाते लोग।
शिव-शंकर को प्यार से, लगा रहे हैं भोग।६।
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काँवड़ लेकर आ रहे, श्रद्धा से अनुरक्त।
हर-हर, बम-बम घोष को, करते सारे भक्त।७।
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गंगा जी के घाट पर, लम्बी लगी कतार।
लोग नहाने जा रहे, हर-हर के हरद्वार।८।
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आता सावन मास में, रक्षाबन्धन पर्व।
जब करती बहनें तिलक, भाई करता गर्व।९।
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बहनें करतीं कामना, भाई हो खुशहाल।
भाई की लम्बी उमर, माँग रहीं हर साल।१०।
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मंगलवार, 21 जुलाई 2020
दोहे "श्रद्धा से अनुरक्त" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सावन का शुभारंभ ! भोलेनाथ सब पर कृपा बनाए रखें
जवाब देंहटाएंसुन्दर भक्तिमय दोहे
जवाब देंहटाएंसावन महीने में आने वाले सभी त्योहारों की दोहों के माध्यम से सुंदर जानकारी अभिनव सृजन।
जवाब देंहटाएं