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लहर-लहर लहराता झण्डा, आज बड़े अभिमान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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पराधीन अपना भारत था, अँगरेजों का शासन था,
भारत में मक्कार-फिरंगी का, सब ओर कुशासन था,
स्वतन्त्रता की भोर हुई थी, वीरों के बलिदान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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आजादी के परवानों ने, मिलकर बिगुल बजाया था,
अँगरेजो भारत छोड़ो का, नारा यहाँ लगाया था,
भारतमाता की सरहद हैं, रक्षित वीर जवान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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करते हैं जीतोड़ परिश्रम, कृषक अन्न उपजाते हैं,
जीवन में उनके बल पर ही, हम आनन्द मनाते हैं.
हरी-भरी है अपनी धरती, जग में श्रमिक-किसान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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प्रजातन्त्र परिवेश हमारा, है सारे जग से न्यारा,
तीन रंग का अपना झण्डा, हमको प्राणों से प्यारा,
न्याय-व्यवस्था होती लागू, सब पर एक विधान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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हम है वीर सपूत धरा के, सत्य-अहिंसा के पोषक,
शान्ति हमारा मूलमन्त्र है, हम हैं इसके उद्घोषक,
आजादी अक्षुण्ण हमारी, माता के वरदान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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धरा-गगन में आज हमारी, गूँज सुनाई देती है,
नित्य नये अन्वेषण की, अब झलक दिखाई देती है
ज्ञान और विज्ञान बँधा है, अपने विमल-विधान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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संविधान लागू भारत का, अब अपने कशमीर में,
देशभक्ति की खुशबू फैली, बहते हुए समीर में,
वन्दे-भारत गूँज रहा है, शैलशिखर-मैदान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020
गीत "आजादी अक्षुण्ण हमारी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंन्याय-व्यवस्था होती लागू, सब पर एक विधान से।
जवाब देंहटाएं- विचारणीय प्वाइन्ट है.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर
जवाब देंहटाएंवन्दे-भारत गूँज रहा है,
जवाब देंहटाएंशैलशिखर-मैदान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन,
देखो कितनी शान से।।
--दिल को छू गयी ये पंक्तियां। तिरंगे की शान में देशभक्तिपूर्ण शानदार रचना के लिए साधुवाद । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और बहुत -बहुत शुभकामनाएं ।
संविधान लागू भारत का, अब अपने कशमीर में,
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति की खुशबू फैली, बहते हुए समीर में,
वन्दे-भारत गूँज रहा है, शैलशिखर-मैदान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
वाह!!!
बहुत ही शानदार देशभक्ति गीत।
करते हैं जीतोड़ परिश्रम, कृषक अन्न उपजाते हैं,
जवाब देंहटाएंजीवन में उनके बल पर ही, हम आनन्द मनाते हैं.
हरी-भरी है अपनी धरती, जग में श्रमिक-किसान से।
जन-मन-गण को गाता जन-जन, देखो कितनी शान से।।
बहुत सुंदर गीत 🙏
जय हिन्द 🇮🇳🙏🇮🇳
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत ।
देशभक्ति से ओतप्रोत सुंदर रचना ! स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं