बरेली-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर खटीमा से 7 किमी दूर श्री वनखण्डी महादेव के नाम से विख्यात एक प्राचीन शिव मन्दिर है! यह दिल्ली से 300 किमी और बरेली से 100 किमी दूर है। कभी यह स्थान घने जंगलों के मध्य में हुआ करता था परन्तु अब यह चकरपुर गाँव से बिल्कुल सटा हुआ है। इसके सामने से ही बरेली-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग है। वनखण्डी महादेव समिति, चकरपुर ने अब यहाँ सुन्दर तोरण-द्वार बना दिया है। समिति ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करके इसे सजाया और सँवारा भी है। मन्दिर के भीतर का दृश्य देखकर तो आपको आश्चर्य होगा कि यहाँ कोई शिवलिंग नही है अपितु कलश के ठीक नीचे एक साधारण सा दिखाई देने वाला पत्थर है। अवधारणा है कि शिवरात्रि को यह पत्थर सात बार रंग बदलता है। चकरपुर स्थित ऐतिहासिक बनखण्डी महादेव शिवमन्दिर का शिवलिंग महाशिवरात्रि पर्व पर सात रंग बदलता है। इसके दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। इसी आस्था व विश्वास के चलते ही शिवरात्रि पर मन्दिर में मत्था टेकने वालों भक्तों का सैलाब उमड़ता है। आसपास क्षेत्रों के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी जलाभिषेक करने यहाँ पहुचँते है। मन्दिर के मुख्य-महन्त ने इससे जुड़ी कहानी सुनाते हुए कहा- “प्रणवीर महाराणा प्रताप के वीरगति को प्राप्त होने के उपरान्त कुछ राजपूत महिलाएँ तो सती हो गईं थी, लेकिन कुछ राजकुमारियों ने अपने सेवकों के साथ मेवाड़ से पलायन कर खटीमा के समीप नेपाल की तराई के जंगलों में अपना ठिकाना बना लिया था। यह कबीला “थारू” जाति के नाम से जाना जाता है। जो कि उत्तराखण्ड में यहाँ अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिकृत है। उसी पुराने समय की बात है कि एक थारू की गाय घर में बिल्कुल दूध नही देती थी। लोगों ने जब इसका कारण खोजा तो पता लगा कि यह गाय प्रतिदिन जंगल में जाकर एक पत्थर के पास जाती है और अपने थनों से दूध गिरा कर आ जाती है।” थारू समाज के लोगों ने यहाँ एक साधारण सा शिवालय बना दिया। मन्दिर में कलश के नीचे वही पत्थर है जिस पर गाय अपने थनों से दूध गिरा कर इसको प्रतिदिन स्नान कराती थी। प्रत्येक वर्ष यहाँ शिवरात्रि को एक विशाल मेला लगता है। जो आठ-दस दिनों तक चलता है। कभी आपका भी इधर आना हो तो “वनखण्डी-महादेव” नामक इस प्राचीन शिव-मन्दिर का दर्शन करना न भूलें! |
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मंगलवार, 1 मार्च 2022
आलेख "शिवमन्दिर श्री वनखण्डी महादेव, चकरपुर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हर हर महादेव, रोचक विवरण
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंजय भोलेनाथ, बहुत बहुत अभिव्यक्ति
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