सबके लिए बसन्त का, मौसम है अनुकूल। फागुन में मन मोहते, ये पलाश के फूल।१। अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला पलास। मन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास।२। सरसों फूली खेत में, पीताम्बर को धार। देख अनोखे 'रूप' को, भ्रमर करे गुंजार।३। कुदरत ने पहना दिये, नवपल्लव परिधान। भक्त मन्दिरों में करें, हर-हर, बम-बम गान।४। बेरी सबको दे रही, बेरों का उपहार। इन बेरों में है छिपा, राम लखन का प्यार।५। गेंहूँ लहराने लगे, पहन बालियाँ आज। मस्ती और तरंग में, डूबा सकल समाज।६। मौसम में उन्माद की, छाई हुई उमंग। लोगों पर चढ़ने लगा, होली का अब रंग।७। |
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बुधवार, 9 मार्च 2022
दोहे "छाई हुई उमंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4365 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
सुंदर
जवाब देंहटाएंसार्थक सामयिक दोहे ।आपको सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंवाह ! प्रकृति की मनोहरता को संजोते सुंदर दोहे और मनभावन चित्र !
जवाब देंहटाएं