अब रचो सुखनवर गीत नया।। -- फिरकों में है इन्सान बँटा, कुछ अकस्मात् अटपटा घटा। अब गली-गाँव का भिक्षुक भी, अपनी हमदर्दी लिए डटा। प्रजा-तन्त्र का दानव फिर, मानवता का घर रीत गया। अब रचो सुखनवर गीत नया।। -- जिसकी कुटिया मंगलकारी, वीरान हुई उसकी क्यारी। फाइल में राशन बाँट रहे, उन्मुक्त हो गये अधिकारी। वो कैसे धीर धरेंगे अब, जिनका दुनिया से मीत गया। अब रचो सुखनवर गीत नया।। -- कब दिवस सुहाने आयेंगे, कब हम नूतन सुख पायेंगे। कब उपवन अपना महकेगा, कब भँवरे गुन-गुन गायेंगे। आशायें दिलाशा देती हैं, अपना प्यारा संगीत गया। अब रचो सुखनवर गीत नया।। -- नया सूर्य कब चमकेगा, कब वो अँधियारा हर लेगा। कब सुख के बादल बरसेंगे, कब “रूप” देश का दमकेगा। क्यों पप्पू बाजी जीत गया। अब रचो सुखनवर गीत नया।। -- |
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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022
गीत "कब दिवस सुहाने आयेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नए वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो !
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