कहीं अरमान ढलते हैं
जहाँ बरसात होती है
वहीं पत्थर दरकते हैं
लगी हो आग जब दिल में
शरारे ही निकलते हैं
कभी सूखे के मौसम में
नहीं दरिया उबलते हैं
अमन के चमन में आकर
जुबाँ से विष उगलते हैं
शक्ल इन्सान की धर कर,
नगर में नाग पलते हैं
सुरीले सुर सजें कैसे
जहाँ तूफान चलते हैं
“रूप” को मोम के पुतले
घड़ी भर में बदलते हैं
|
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मंगलवार, 20 सितंबर 2011
"कहीं अरमान ढलते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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छोटे -छोटे वाक्य में बड़ी-बड़ी सी बात ||
जवाब देंहटाएंसूखे में जमके हुई, वो भीगी बरसात ||
bahut shaandar lagi yah ghazal.
जवाब देंहटाएंBahut khoob shastri ji, ye to naag se bhi khatarnaaq hain.
जवाब देंहटाएंसुरीले सुर सजें कैसे
जवाब देंहटाएंजहाँ तूफान चलते हैं
बेहतरीन है सर!
-----------
कल 21/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
जहाँ बरसात होती है
जवाब देंहटाएंवहीं पत्थर पिघलते हैं
....बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति..
शक्ल इन्सान की धर कर,
जवाब देंहटाएंनगर में नाग पलते हैं
आपने छोटे छोटे शेर मैं कितनी गहरी बात कही है /बहुत ही शानदार गजल /बहुत सुंदर शब्दों के चयन के साथ लिखी अनूठी और सार्थक रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार/
बहुत गहरी बात कही है……………सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंdr.saheb uttam v satik rachana .sadhuwad
जवाब देंहटाएंनगर में नाग बसते हैं।
जवाब देंहटाएं“रूप” को मोम के पुतले
जवाब देंहटाएंघड़ी भर में बदलते हैं
bahut sundar kaha
kaun kaun naag hai yhan batana aasaan nahi hai .
जवाब देंहटाएंशक्ल इन्सान की धर कर,
जवाब देंहटाएंनगर में नाग पलते हैं....
bahut achchhi gazal
बहुत ही गहरी बात कही आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही गहरी बात कही आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
umda lafzo me dhali umda gazal.
जवाब देंहटाएंजहाँ बरसात होती है
जवाब देंहटाएंवहीं पत्थर पिघलते हैं...
बहुत ही गहरी बात कही..सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति..
शक्ल इन्सान की धर कर,
जवाब देंहटाएंनगर में नाग पलते हैं
सुंदर अभिव्यक्ति। चित्र भी अद्भुत लगाया है।
आज कल तो हर जगह नाग पलने लगे हैं ..खाली नगरों तक ही नहीं रहे .. अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने सर , लेकिन ये फोटो देखकर "दिग्गिया" गुस्सा जायेगा ,उसके लिये"जी"है ना ये ----
जवाब देंहटाएंशकल इंसानों की लेकर शहर में नाग पलते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
बहुत सुंदर पंक्तियां,वाह, पर ये फोटो वीभत्स है,
जवाब देंहटाएंमाफी चाहूंगा,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जहाँ बरसात होती है
जवाब देंहटाएंवहीं पत्थर पिघलते हैं
लगी हो आग जब दिल में
शरारे ही निकलते हैं
अनुभवों का निचोड़ , यही तो नई पीढ़ी के लिये अमृत-सम होता है.
..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण और गहरी बात कह दी है आपने .......
जवाब देंहटाएंकहीं पर दीप जलते हैं.
जवाब देंहटाएंकहीं अरमान ढलते हैं.
बेहतरीन ग़ज़ल है सर,
सादर बधाई...
chitr achha lagaa....
जवाब देंहटाएं