रतन की खोज में हमने, खँगाला था समन्दर को इरादों की बुलन्दी से, बदल डाला मुकद्दर को लगी दिल में लगन हो तो, बहुत आसान है मंजिल हमेशा जंग में लड़कर, फतह मिलती सिकन्दर को अगर मर्दानगी के साथ में, जिन्दादिली भी हो जहां में प्यार का ज़ज़्बा, बनाता मोम पत्थर को नहीं ताकत थी गैरों में, वतन का सिर झुकाने की हमारे देश का रहबर, लगाता दाग़ खद्दर को हमारे “रूप” पर आशिक हुए दुनिया के सब गीदड़ सभी मकड़ी के जालों में फँसाते शेर बब्बर को |
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गुरुवार, 26 अप्रैल 2012
"फतह मिलती सिकन्दर को" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अगर मर्दानगी के साथ में, जिन्दादिली भी हो
जवाब देंहटाएंजहां में प्यार ज़ज़्बा, बनाता मोम पत्थर को
वाह इस शेर के तो क्या कहने चित्र भी और ग़ज़ल भी काबिले तारीफ है व्यंग्य का पुट भी सराहनीय है
अगर मर्दानगी के साथ में, जिन्दादिली भी हो
जवाब देंहटाएंजहां में प्यार ज़ज़्बा, बनाता मोम पत्थर को......
बहुत सुंदर लिखा है आपने जहाँ प्रेम होता है बहा पत्थर भी मोम बन जाता है ,,,बहुत सुंदर कविता .....
.
जवाब देंहटाएं.
.
रोचक सुंदर कविता ।
धन्यवाद!
गहरी बातें बेहद सरलता से कह जाते हैं ……बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर...................
जवाब देंहटाएंकविताओं का खजाना है आपके पास...........
सादर.
अनु
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह !!!! बहुत खूब सुंदर रचना,..
जवाब देंहटाएंलगी दिल में लगन हो तो, बहुत आसान है मंजिलहमेशा जंग में लड़कर, फतह मिलती सिकन्दर को!
जवाब देंहटाएं...कितनी सुन्दर प्रेरक पंक्तियाँ!....आभार!
इरादे बुलंद हो तो सीमा असीम हो जाती है .दूध गंगाएं पास खिसक आतीं हैं .जोश की रचना ,बढ़िया प्रस्तुति ..http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंजानकारी :कोलरा (हैजा ).
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुक्रवारीय चर्चा मंच पर ||
सादर
charchamanch.blogspot.com
सुंदर पंक्तियाँ शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंati sundar .badhai
जवाब देंहटाएंसरल शब्द और सोच का भंडार हैं आप ....बहुत सरल शब्दों में अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ......आप अपना पता मेल कर दे ........मैं आपको पुस्तक भेज देती हूँ .....आभार
जवाब देंहटाएंरतन की खोज में हमने, खँगाला था समन्दर को
जवाब देंहटाएंइरादों की बुलन्दी से, बदल डाला मुकद्दर को
बहुत सुंदर रचना ...
शुभकामनायें...
जहां में प्यार का ज़ज़्बा, बनाता मोम पत्थर को
जवाब देंहटाएंआ. शास्त्री जी, आप सिर्फ़ कहने के लिए कोई ग़ज़ल या कविता नहीं कहते। इनकी पंक्तियां बड़ी सरलता से मन को झकझोड़ देती हैं। मन के लिए खुराक दे देती हैं।
बहुत सुंदर कविता!!!
जवाब देंहटाएंनहीं ताकत थी गैरों में, वतन का सिर झुकाने की
जवाब देंहटाएंहमारे देश का रहबर, लगाता दाग़ खद्दर को
यहीं जैचंद हैं सारे ,विभीषण हर गली घर में .......
है ड्रेगन एक अपना भी ,जरा तुम गौर से देखो .बढ़िया प्रस्तुति शाष्त्री जी की . बस थोड़ा सा इंतज़ार ,फिर हाज़िर है -
कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग चार .
शुक्रिया आपकी द्रुत और उत्साहवर्धक टिप्पणियों का .
नहीं ताकत थी गैरों में, वतन का सिर झुकाने की
जवाब देंहटाएंहमारे देश का रहबर, लगाता दाग़ खद्दर को
बहुत ही सटीक और मार्मिक बात कह दी...
hello heres the site just say paul put you onto them
जवाब देंहटाएंp beartil
वाह, बहुत सटीक..
जवाब देंहटाएंbeautiful
जवाब देंहटाएंलगी दिल में लगन हो तो, बहुत आसान है मंजिल
जवाब देंहटाएंहमेशा जंग में लड़कर, फतह मिलती सिकन्दर को
....सच सच्ची लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं..
बहुत सुन्दर सार्थक रचना ..