(१)
नेह का नीर पिलाकर देखो।
शोख कलियों को खिला कर देखो।
वेवजहा हाथ मिलाने से कुछ नहीं होगा-
दिल से दिल को तो मिलाकर देखो।।
"शास्त्री मयंक"
(1)
NEH KAA NEER PILAAKAR DEKHO.
SHOKH KALION KO KHILAAKAR DEKHO.
BEVJAHA HAATH MILANE SE KUCHH NAHI HOGAA-
DIL SE DIL KO TO MILAAKAR DEKHO....
"SHASTRI MAYANK"
--
(2)
अब तो हर बात बहुत दूर गई।
दिल की सौगात बहुत दूर गई।
रौशनी अब नज़र नहीं आती
चाँदनी रात बहुत दूर गई।।
"शास्त्री मयंक"
--
(2)
AB TO HAR BAAT BAHUT DOOR GAYEE.
DIL KEE SAUGAAT BAHUT DOOR GAYEE.
RAUSHANI AB NAZAR NAHI AATEE-
CHAANDNI RAAT BAHUT DOOR GAYEE..
"SHASTRI MAYANK"
सुंदर मुक्तक --उम्मीदों का दामन फिर भी थामे रखना है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर मुक्तक -आभार
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट 31 - 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें ।
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मुक्त हस्त से गढ़ रहे, मुक्तक गुरुवर आज |
जवाब देंहटाएंनेह रोशनी का मिलन, पढ़ता चले समाज ||
बहुत ही सुंदर ,****** नेह का नीर पिलाकर देखो।
जवाब देंहटाएंशोख कलियों को खिला कर देखो।
वेवजहा हाथ मिलाने से कुछ नहीं होगा-
दिल से दिल को तो मिलाकर देखो।।*********************************** अब तो हर बात बहुत दूर गई।
दिल की सौगात बहुत दूर गई।
रौशनी अब नज़र नहीं आती
चाँदनी रात बहुत दूर गई।।
दोनों ही मुक्तक काफी सुन्दर ,,,
जवाब देंहटाएंदिलों का मिलना जरुरी है
सादर आभार !
आपके द्वारा पोस्ट किए गए दोनों मुक्तक ही बहुत सुन्दर है। सादर आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंक्या बात
मनमोहक अंदाज़ लिए हैं दोनों मुक्तक .
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है ई हिंदी अंग्रेजी दोनों में वाह वाह
जवाब देंहटाएंहिन्दी तो है लेकिन अंग्रेजी नहीं , यह रोमन लिपि में हिन्दी है।
हटाएंआपकी कविताओं की रोशनी भी बड़ी दूर तक है.
जवाब देंहटाएंvery beautiful
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा सर और सच है ये
जवाब देंहटाएंlovely ......outstanding
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएँ बहुत अच्छी लगी, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंदिल की सौगात बहुत दूर गई।
जवाब देंहटाएंचाँदनी रात बहुत दूर गई।।
बहुत खूब