सबको अपना आज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
उडने
को आकाश पड़ा है,
पुष्पक
भी तो पास खड़ा है,
पंछी
को परवाज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
राजनीति
की सनक चढी है,
लोलुपता
की ललक बढ़ी है,
काँटों
का भी ताज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
गेहूँ
पर आ गई बालियाँ,
हरे
रंग में रंगी डालियाँ,
ऋतुओं
में ऋतुराज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
गुञ्जन
करना और इठलाना,
भीना-भीना
राग सुनाना,
मलयानिल
का साज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
तन-मन
ने ली है अँगड़ाई,
कञ्चन
सी काया गदराई,
होली
का आगाज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
टेसू
दहका अंगारा सा,
आशिक
बहका आवारा सा,
बासन्ती
अन्दाज सुहाना लगता है।
छिपा
हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
|
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शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013
"सुहाना लगता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर बहुत सही भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
जवाब देंहटाएंआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
अपने-आप में ही खोई-खोई सी रचना...- अच्छी लगी शास्त्री सर!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
गेहूँ पर आ गई बालियाँ,
जवाब देंहटाएंहरे रंग में रंगी डालियाँ,
ऋतुओं में ऋतुराज सुहाना लगता है।
छिपा हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
बहुत सुन्दर!
रंग बिरंगी कविता..
जवाब देंहटाएंगुरुवर रचते रहे हैं, तरह तरह के गीत |
जवाब देंहटाएंआज मूड कुछ अलग है, लगे सुहाना मीत |
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंप्रकृति के हर रंग और रूप को शब्दों में ढाल दिया और एक सुन्दर रचना रच गयी . और आपकी कलम तो रोज एक रचना रचती है . आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएं:-)
उत्कृष्ट प्रस्तुति , भावनात्मक अभिव्यक्ति, सुन्दर कलम सुन्दर रचना*****^^^^^^*** राजनीति की सनक चढी है,
जवाब देंहटाएंलोलुपता की ललक बढ़ी है,
काँटों का भी ताज सुहाना लगता है।
छिपा हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंभावनात्मक उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
हमको आपका यह अन्दाज सुहाना लगता है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत
जवाब देंहटाएंNew postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
New post तुम ही हो दामिनी।
,my best wishes,very good content always
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra
rewa
mp
रोज रोज अच्छी कवितायें
जवाब देंहटाएंभाषा भाव की नई छटायें
अभिव्यक्ति का यह अंदाज सुहाना लगता है।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
उडने को आकाश पड़ा है,
जवाब देंहटाएंपुष्पक भी तो पास खड़ा है,
पंछी को परवाज सुहाना लगता है।
छिपा हुआ हर राज सुहाना लगता है।।
वाह ...क्या बात है..
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंवातावरण प्रधान सुन्दर गीत ,
जवाब देंहटाएंउड़ने (उड़ने )को ,उड़ने को ...आकाश सुहाना लगता है ,
कल का वो संगीत सुहाना लगता है .
Virendra Sharma @Veerubhai1947
असली उल्लू कौन ? http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/02/blog-post_5036.html …
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Virendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ शनिवार, 2 फरवरी 2013 Mystery of owls spinning their heads all the way around revealed http://veerubhai1947.blogspot.in/
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