पहरा देते
वहाँ सिपाही।
मातृभूमि के
लिए शहादत,
देते हैं
जाँबाज सिपाही।।
कैसे सुधरे
दशा देश की,
शासन की चलती
मनचाही।
सुरसा सी
बढ़ती महँगाई,
मचा रही है
यहाँ तबाही।
जिनको राज-पाठ सौंपा था,
करते वो हर जगह उगाही।
इसीलिए तो घूस
माँगती,
अफसरशाही-नौकरशाही।
देशभक्त की
किस्मत फूटी,
गद्दारों को
बालूशाही।
लोकतन्त्र के
रखवालों को,
रोज चाहिए, सुरा-सुराही।
दोराहे पर जीवन भटका,
कैसी है ये
आवाजाही।
उम्र ढल गई
चलते-चलते,
लक्ष्य नहीं
पाता है राही।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 23 फ़रवरी 2013
"कैसी है ये आवाजाही" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
आज की सच्चाई को बयां करती सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंhttp://kaynatanusha.blogspot.in/
ये हमारा दुर्भाग्य है शास्त्री जी , शहीदों की शहादत तो बेकार चली गयी देश फिर से चल पड़ा है हमें गुलाम बनाने के रस्ते पर. अपने ही घर में हम ठगे जा रहे हैं और अपने ही लोगों की देश के नाम पर बलि भी दे रहे हैं . जो राज्य कर रहे हैं वे सुरक्षित हैं सिर्फ और सातों सुख भोग रहे है .
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है गुरुदेव -
जवाब देंहटाएंआभार-
बालू शाही है अगर, तो निकलेगा तेल |
आम रेत में क्या धरा, चढ़ टिब्बे पर खेल |
चढ़ टिब्बे पर खेल, खिलाती नौकर-शाही |
मँहगाई की आँच, बड़ी ही दारुण दाही |
लूट रहे हैं धन धान्य, होय हर जगह उगाही |
आम चाटते नमक, ख़ास की बालूशाही ||
बहुत सही कहा आपने. ,सुन्दर गीत !
जवाब देंहटाएंlatest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें
बड़ी अजब दुनिया, बहरी है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है दिल को छू गयीǃ आभार.....
जवाब देंहटाएंSARTHAK,SUNDAR AYR ATI SAMVEDANSHIL PRASTUTI
जवाब देंहटाएंsahi likha hai aapne ..bahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पंक्तियाँ ..... वहा बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच बयाँ करती आपकी रचना बस सही हाल बयाँ किया है आपने देश का
मेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
वाह | बहुत ही भावपूर्ण वर्तमान परिस्थियों को दर्शित करती आपकी यह रचना महोदय | शुभकामनाएं आपको |
जवाब देंहटाएंआज की स्थिति को दर्शा रही है आपकी यह कविता.
जवाब देंहटाएंउम्र ढल गई चलते-चलते,
जवाब देंहटाएंलक्ष्य नहीं पाता है राही।
बढ़िया चित्रण कुराज का .शासकी य अव्यवस्था का .
बहुत ही वास्तविक चित्रण , सुन्दर काव्य गठन, बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसादर
नीरज'नीर'
www.kavineeraj.blogspot.com
मेरी नई कविता "बम की जात" पढकर आशीर्वाद दें.
सटीक रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं सटीक ..... वर्तमान को दर्शाती रचना ..
जवाब देंहटाएंबधाई ..
सुंदर !
जवाब देंहटाएं