(चित्र गूगल छवियों से साभार)
होश गुम हैं, जोश है मन में भरा,
यह हक़ीकत है, नहीं कोई कहानी।
अब यहाँ भी चल
पड़ा है दौर ऐसा,
सिर्फ शब्दों
में भरी सारी रवानी।।
खो गया है
गाँव का परिवेश सारा,
हर तरफ है शहर
का गन्दा नज़ारा,
घूमती चारों
तरफ बिगड़ी जवानी।
सिर्फ शब्दों
में भरी सारी रवानी।।
काठ भी तो बन
गया है अब सुचालक,
अब नहीं मासूम
लगता कोई बालक,
सभ्यता की अब
नहीं बाकी निशानी।
सिर्फ शब्दों
में भरी सारी रवानी।।
मन्दिरों में
आज भ्रष्टाचार फैला,
भक्त-भक्ति का
यहाँ उपहार मैला,
पड़ रही है
लाज मीरा को बचानी।
सिर्फ शब्दों
में भरी सारी रवानी।।
ज्ञान अब
बिकने लगा है हाट में,
मखमली पैबन्द
हैं अब टाट में,
लोकशाही में
सजी है ख़ानदानी।
सिर्फ शब्दों
में भरी सारी रवानी।।
|
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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013
"देश की कहानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सही रचना जो आज की हकीक़त बयाँ करती हैं ....
जवाब देंहटाएंकाठ भी तो बन गया है अब सुचालक,
जवाब देंहटाएंअब नहीं मासूम लगता कोई बालक,
सभ्यता की अब नहीं बाकी निशानी।
सिर्फ शब्दों में भरी सारी रवानी।।
देश और दुनिया के हालात पर तीक्ष्ण दृष्टि. शुभकामनाएँ.
आज के हालात पर सटीक प्रहार,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
सिर्फ शब्दों में भरी सारी रवानी-
जवाब देंहटाएंसही है गुरुदेव ||
खो गया है गाँव का परिवेश सारा,
जवाब देंहटाएंहर तरफ है शहर का गन्दा नज़ारा,
घूमती चारों तरफ बिगड़ी जवानी। ..
वाह ... सत्य का चित्र खींच दिया आपने शास्त्री जी अंकों के सामने ...
बहुत उम्दा प्रस्तुति ...
मन्दिरों में आज भ्रष्टाचार फैला,
जवाब देंहटाएंभक्त-भक्ति का यहाँ उपहार मैला,
उम्दा प्रस्तुति
latestpost पिंजड़े की पंछी
आज के हालात का सटीक चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक कटाक्ष स्थितियों पर।
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर कृति डाक्टर साब | बधाई |
जवाब देंहटाएंमन में हूक उठती है गर्दिशे दौर देख कर।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक प्रहार!
जवाब देंहटाएंसही है।
जवाब देंहटाएं