हमें जिसने ज़ुल्मों से मारा हुआ है।
वही ज़िन्दग़ी
का सहारा हुआ है।।
जिसने सिखाया
है दरिया को चलना,
वो मौज़ों से
घायल किनारा हुआ है।
नहीं एक-दूजे
के बिन काम चलता,
हम उसके हैं
और वो हमारा हुआ है।
चुभन दे रहे
हैं मगर प्यार भी है,
गुलाबों को
दिल से सँवारा हुआ है।
मचलते हैं जब
वो, महकते हैं तब
हम,
उन्हीं के लिए
"रूप" धारा हुआ है।
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013
"ग़ज़ल-ज़िन्दग़ी का सहारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंहमें जिसने ज़ुल्मों से मारा हुआ है।
जवाब देंहटाएंवही ज़िन्दग़ी का सहारा हुआ है।। ... वाह शानदार आगाज गज़ब का मतला है
जिसने सिखाया है दरिया को चलना,
वो मौज़ों से घायल किनारा हुआ है। ... हाय हाय लाजवाब
नहीं एक-दूजे के बिन काम चलता,
हम उसके हैं और वो हमारा हुआ है। वाह शानदार
चुभन दे रहे हैं मगर प्यार भी है,
गुलाबों को दिल से सँवारा हुआ है। ... मस्त मदमस्त शे'र
मचलते हैं जब वो, महकते हैं तब हम,
उन्हीं के लिए "रूप" धारा हुआ है। .... अति सुन्दर
आदरणीय गुरुदेव श्री सर सभी के सभी अशआर माशाल्लाह कमाल के हैं, सुन्दरता से परिपूर्ण शानदार ग़ज़ल हेतु दिली दाद के साथ-साथ हार्दिक बधाई भी स्वीकारें.
बहुत प्यारी गज़ल है
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति हुज़ूर |सादर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों से सजी रचना..
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव! सुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
क्या बात है , एक गजल महकती हुयी सी .....
जवाब देंहटाएंशानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ....
जवाब देंहटाएंRecent post: गरीबी रेखा की खोज
.सराहनीय अभिव्यक्ति आभार सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंसभी शेर बहुत उम्दा, दाद स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंदुश्मन जो दोस्तों से भी प्यारे हैं , जैसी कविता !
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबढ़िया बिम्ब है भाई साहब .
जवाब देंहटाएंजिसने सिखाया है दरिया को चलना,
वो मौज़ों से घायल किनारा हुआ है।
एक दूजे के लिए - अच्छी सोच है।
जवाब देंहटाएं