बेमौसम कुहरा छाया है।
सूरज कितना घबराया है।।
अलसाये पक्षी लगते हैं।
राह उजाले की तकते हैं।।
सूरज जब धरती पर आये।
तब हम दाना चुगने जायें।।
भुवन भास्कर हरो कुहासा।
समझो खग के मन की भाषा।।
बिल्ली सुस्ताने को आई।
लेकिन यहाँ धूप नही पाई।।
नीचे जाने की अब ठानी।
ठण्डक से है जान बचानी।।
बच्चों से वह बोली म्याऊँ।
बिस्तर में जाकर छिप जाऊँ।।
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शनिवार, 2 फ़रवरी 2013
"कुहरा छाया है” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमौसम परिवर्तनशील है.
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति,सादर आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, बच्चों से वह बोली म्याऊँ। बिस्तर में जाकर छिप जाऊँ।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंवाह जी से तो टू इन वन हो गई, चित्र भी और काव्य भी
जवाब देंहटाएंसे को ये पढ़ा जाए
जवाब देंहटाएंठंड लौटकर आयी है..
जवाब देंहटाएंस्वेटर फिर से गरम हो रहे।
वातावरण प्रधान सुन्दर गीत ,बाल गीत की छटा संजोये .अनगढ़ भाषिक सम्मोहन लिए .
जवाब देंहटाएंVirendra Sharma @Veerubhai1947
असली उल्लू कौन ? http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/02/blog-post_5036.html …
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Virendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ शनिवार, 2 फरवरी 2013 Mystery of owls spinning their heads all the way around revealed http://veerubhai1947.blogspot.in/
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चित्रों को काब्यांजलि : सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंNew post बिल पास हो गया
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
चित्रमय सुंदर बाल रचना,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
बहुत आनंददायी रचना ! अनायास अधरों पर मुस्कुराहट आ गयी !
जवाब देंहटाएंचित्रों के साथ पढ़ने में और भी अच्छा लगा। वाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चित्रमय बाल रचना प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भोला
जवाब देंहटाएंसा बालगीत
बेहतरीन रचना