एक दिवस के
लिए क्यों? चुम्बन का व्यापार।
जीवनभर करते
रहो, मीठा-मीठा प्यार।१।
चुम्बन से
बुझती नहीं, कामी तन की प्यास।
मन से मन का
मेल ही, उपजाता विश्वास।२।
मानव मानव ही
रहें, यही हमारा मन्त्र।
वासनाओं के
लिए क्यों? ढोंग और षड़यन्त्र।३।
अपनाओ निज
सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
जीवनसाथी से
रहे, जीवन भर का संग।४।
प्रीत और
मनुहार है, दुनिया का आधार।
प्रतिदिन
होना चाहिए, सच्चा-सच्चा प्यार।५।
|
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बुधवार, 12 फ़रवरी 2014
"प्रणय सप्ताह-ढोंग और षड़यन्त्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चुम्बन से बुझती नहीं,कामी तन की प्यास।
जवाब देंहटाएंमन से मन का मेल ही, उपजाता विश्वास ||
लाजबाब दोहे ...!
RECENT POST -: पिता
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-02-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
सदा व्यक्तित्व प्रेम बरसाता रहे।
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंचुम्बन से बुझती नहीं, कामी तन की प्यास।
मन से मन का मेल ही, उपजाता विश्वास।२।
प्रेमदिवस की रागिनी भड़काती है आग ,
डालोगे पेट्रोल तो नहीं बुझेगी आग।
सुन्दर सार्थक संदेशपरक प्रस्तुति प्रेम को इंस्टेंट कॉफी की तरह लेने वालों को हमारे प्रणाम। प्रणय -प्रस्ताव दिवस मुबारक
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंsarthak saras rachna ..sadar naman :)
जवाब देंहटाएं