प्रेम दिवस पर सभी
को, लगा प्रेम का रोग।
झूठे मन से कर रहे,
प्रणय-निवेदन लोग।१।
--
प्रेमदिवस के रंग
में, रँगा देश है आज।
छोड़ स्वदेशी
सभ्यता, पागल हुआ समाज।२।
--
आवारा षटपद हुए,
कलियाँ हैं हैरान।
इन्सानों के भेष
में, घूम रहे हैवान।३।
--
प्रेमदिवस पर छा
गये, इन्द्रधनुष के रंग।
पंछी उड़ते पंखबिन,
बदले जीवन ढंग।४।
--
प्यार नहीं है
वासना, यह अभिनव उपहार।
करना है तो कीजिए, दिल
से सच्चा प्यार।५।
|
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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014
"दोहे-प्रेमदिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
waah bahut sundar prem mayi dohe prem ke rang me range huye hardik badhai aapko
हटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंप्रेमदिवस पर छा गये, इन्द्रधनुष के रंग।
जवाब देंहटाएंपंछी उड़ते पंखबिन, बदले जीवन ढंग।४।
सुन्दर...
:-)
प्रेम दिवस के सतही खोखलेपन को बखानते सार्थक दोहे ! सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई शास्त्रीजी !
जवाब देंहटाएंहर दिन, हर पल, प्रेम सुवासित जीवन हो।
जवाब देंहटाएंप्रेम एक दिन का नहीं सद सर्वदा के लिए होता है ...बढ़िया दोहे !
जवाब देंहटाएंnew post बनो धरती का हमराज !
प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......
जवाब देंहटाएंवही पत्ते, वही डाली,
जवाब देंहटाएंवही भोजन, वही थाली,
वही वो हैं वही हम हैं!
दिलों में उल्फतें कम हैं!!
बढ़िया निवेदन और चित्र प्रेम -प्रस्ताव दिवस का ,देह अनुराग दिवस ,बन जाता कुछ के लिए संत्रास दिवस।
17-yr-old Delhi girl lured to V -Day party ,raped TOI ,TIMES NATION ,P7 ,THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,EPAPER.TIMESOFINDIA.COM
जवाब देंहटाएंएक दिन चढ़नेवाला ज्वार कहें अगर इस दिवस को ?
जवाब देंहटाएं