जो मेरे मन को भायेगा,
उस पर मैं कलम चलाऊँगा।
दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,
आगे को बढ़ता जाऊँगा।।
मैं कभी वक्र होकर घूमूँ,
हो जाऊँ सरल-सपाट कहीं।
मैं स्वतन्त्र हूँ, मैं स्वछन्द हूँ,
मैं कोई चारण भाट नहीं।
फरमाइश पर नहीं लिखूँगा,
गीत न जबरन गाऊँगा।
दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,
आगे को बढ़ता जाऊँगा।।
भावों की अविरल धारा में,
मैं डुबकी खूब लगाऊँगा।
शब्दों की पतवार थाम,
मैं नौका पार लगाऊँगा।
घूम-घूम कर सत्य-अहिंसा
की मैं अलख जगाऊँगा।
दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,
आगे बढ़ता जाऊँगा।।
चाहे काँटों की शय्या हो,
या नर्म-नर्म हो सेज सजे।
सारंगी का गुंजन सुनकर,
चाहे ढोलक-मृदंग बजे।
अत्याचारी के दमन हेतु,
शिव का डमरू बन जाऊँगा।
दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,
आगे बढ़ता जाऊँगा।।
|
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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014
"फरमाइश पर नहीं लिखूँगा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अच्छा संकल्प है-
जवाब देंहटाएंहमारे देश में एक मिथक चला आ रहा है कि देवता सोमरस का पान करते हैं और अप्सराओं के साथ राग रंग में स्वर्ग का आनंद उठाते हैं .वह सोम रस क्या है ? सोम का अर्थ है चन्द्रमा और चंद्रदेव को ही जड़ी बूटियों का अधिपति माना गया है .इन जड़ी बूटियों में चन्द्रमा अपनी किरणों से उज्ज्वलता और शान्ति भरते हैं .इसीलिए इन जड़ी बूटियों से जो रसायन तैयार होकर शरीर में नव जीवन और नव शक्ति का संचार करते हैं उन्हें सोमरस कहा जाता है .
ऐसा ही एक सोमरस रसायन मुझे तैयार करने में सफलता मिली है जिसमे मेहनत और तपस्या का महत्वपूर्ण योगदान है .वह है- निर्गुंडी रसायन
और
हल्दी रसायन
ये रसायन शरीर में कोशिका निर्माण( cell reproduction ) की क्षमता में ४ गुनी वृद्धि करते हैं .
ये रसायन प्रजनन क्षमता को ६ गुना तक बढ़ा देते हैं .
ये रसायन शरीर में एड्स प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर देते हैं
ये रसायन झुर्रियों ,झाइयों और गंजेपन को खत्म कर देते हैं
ये रसायन हड्डियों को वज्र की तरह कठोर कर देते हैं.
ये रसायन प्रोस्टेट कैंसर ,लंग्स कैंसर और यूट्रस कैंसर को रोकने में सक्षम है.
अगर कोई इन कैंसर की चपेट में आ गया है तो ये उसके लिए रामबाण औषधि हैं.
अर्थात
नपुंसकता,एड्स ,कैंसर और बुढापा उन्हें छू नहीं सकता जो इन रसायन का प्रयोग करेंगे .
मतलब देवताओं का सोमरस हैं ये रसायन.
9889478084
सुन्दर अभिव्यक्ति, शिवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत ,शिवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंNew post तुम कौन हो ?
new post उम्मीदवार का चयन
sahi baat ..jo man aaya wahi to likhna hai ....!
जवाब देंहटाएंbahut sundar .aabhar
जवाब देंहटाएं:) शिव कहेंगे तब ?
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम विचार हैं !
जवाब देंहटाएं"मैं स्वतन्त्र हूँ, मैं स्वछन्द हूँ,
जवाब देंहटाएंमैं कोई चारण भाट नहीं।"
सच्चे कवि का यही कर्म है और यही धर्म है - सादर
अप्रतिबद्ध /स्वतन्त्र लेखन के छंद बद्ध स्वर लय -ताल का पैटर्न लिए।
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