आज नभ पर बादलों का है ठिकाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
कल तलक लू चल रही थी,
धूप से भू जल रही थी,
आज हैं रिमझिम फुहारें,
लौट आयी हैं बहारें,
बुन लिया है पंछियों ने आशियाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
हल किसानों ने उठाया,
खेत में उसको चलाया,
धान की रोपाई होगी,
अन्न की भरपाई होगी,
गा उठेगा देश फिर, सुख का तराना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
ताल के नम हैं किनारे,
मिट गयीं सूखी दरारें,
अब कुमुद खिलने लगेंगे,
भाग्य धरती के जगेंगे,
आ गया है दादुरों को गीत गाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
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सोमवार, 23 जून 2014
"हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
सुंदर रचना आदरणीय , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं|| जय श्री हरिः ||
वाह हो गई बरसात बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबारिश और अच्छी रचना के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआज नभ पर बादलों का है ठिकाना।
जवाब देंहटाएंहो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
कल तलक लू चल रही थी,
धूप से भू जल रही थी,
आज हैं रिमझिम फुहारें,
लौट आयी हैं बहारें,
बुन लिया है पंछियों ने आशियाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
अरे क्या बात है शब्दों की बौछार सुहानी सी अलबेली बयार सी रचना