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मंगलवार, 24 जून 2014
"आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
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सर मुझसे भी ब्लॉग सेतु से अपने ब्लॉग को जोड़ने की बात कहीं गयी थी , लेकिन पासवर्ड की वजह के कारण मुझे भी पीछे रहना पड़ा मतलब मैंने भी ब्लॉग सेतु से अपना ब्लॉग नहीं जोड़ा , बल्कि इसके लिए मुझे भी टिप्पणी की गयी थी ! आदरणीय इन छोटी मोटी बातों पर गुस्सा नहीं हुआ करते , क्योंकि नाराजगी में आप ब्लॉगिंग छोड़ दोगे तो हम जैसो का साथ कौन देगा , ये समझ लीजिए की आपका होना ही हमारे लिए बहुत हैं ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
आदरणीय शास्त्री जी आप कुछ ज़्यादा ही हताश और निराश दिख रहे हैं... हम आपके साथ हैं.... आप भी ऐसी बचकानी बातों को दिल पर ले लेते हैं... और आप भी सीधे-सादे ऐसी नामाकूल बातों में आ जाते हैं! यह क्या बात हुई कि ब्लॉगिंग बन्द... परेशान हों आपके दुश्मन आपको परेशान होने की ज़ुरूरत नहीं... एक नई ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ आइए ब्लॉगिंग में हां नहीं तो!
जवाब देंहटाएंनमस्ते शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआप pls ऐसा मत करें ।bloging में आपका योगदान हमेशा हम सबके लिए प्रेरणादायक रहा है ।bloging मत छोड़िये ।आपसे निवेदन है । किसी और के लिए क्यूँ खुद को आहत कर रहे हैं ।
नमस्ते शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआप pls ऐसा मत करें ।bloging में आपका योगदान हमेशा हम सबके लिए प्रेरणादायक रहा है ।bloging मत छोड़िये ।आपसे निवेदन है । किसी और के लिए क्यूँ खुद को आहत कर रहे हैं ।
आदरणीय शास्त्री जी ! आपके साथ जो भी घटित हुआ, वह सब बहुद अफ़सोसनाक है। कई बार ग़लतफ़हमी या ग़लत व्यवहार के चलते अप्रिय परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। बड़ी समझदारी से इन्हें हल करना चाहिए। इनसे बड़ी परिस्थितियों को आपने पहले हल किया भी है। दूसरे व्यक्ति के व्यवहार का असर हमारे सृजन को बंद नहीं कर सकता।
जवाब देंहटाएंहमारे साथ चंद ब्लॉगर्स ने जो कुछ किया है, वह सब आपके सामने है। हम अपना कर्म अनवरत करते रहे और आज भी कर रहे हैं। हम जो कुछ कर रहे हैं वह एक मालिक के अनुग्रह के लिए और सब मानवों के हितार्थ कर रहे हैं। किसी का विरोध या किसी के हौसला तोड़ने वाले वाक्य हमारे पवित्र कर्म को बाधित करने का कोई पर्याप्त कारण कभी नहीं हो सकते, आपके लिए भी यह कारण ब्लॉगिंग छोड़ने के लिए उचित और पर्याप्त नहीं है।
ऐसा लगता है कि आप किन्हीं कारणों से आजकल ज़्यादा संवेदनशील हो गए हैं। आप एक कवि हैं और बच्चों के लिए लिखने वाले बहुत कम कवियों में से एक हैं। बड़े की ग़लती बच्चों को अपने साहित्य से वंचित करके देना न्याय नहीं है।
आप अपनी जगह बरक़रार और क़ायम रहेंगे, ऐसी आशा है।
शुभकामनाएं!
अपने माता-पिता की, देखभाल अविराम ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग-जगत की कर रहे, गुरु चर्चा निष्काम ।
गुरु चर्चा निष्काम, राम-केवल धमकाया ।
सेत-मेत में सेतु, ब्लॉग ने जहर पिलाया ।
दुष्ट सिद्ध कर हेतु, लगे जब ज्यादा तपने ।
रविकर होते स्वयं, तीर से घायल अपने ॥
चोटी चिति बातों पर गुस्सा सेहत खराब करदेता है और कुछ नहीं आप नाराज न हों और व्ब्लोगिंग करते रहें |आप सीनियर हैं चोटों की बात पर ध्यान मत दीजिए और ब्लोगिंग ना छोडियेऐसा मेरा कहना है |
जवाब देंहटाएंतुलसी बुरा न मानिए जो गंवार कह जाय।
जवाब देंहटाएंसमयाभाव की वजह से ब्लाग पर कम आना हो पा रहा है। आज ये देखकर हैरानी हुई। शास्त्री जी आप से मेरी मुलाकात हुई है,आपका स्नेह आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है। मैं आपके सच्चे स्वभाव का कायल हूं। ये भी बताना चाहता हूं कि धर्मशाला में मेरी छोटी सी मुलाकात केवलराम से भी हुई है, मैं उन्हें भी अच्छी तरह जानता हूं। मुझे लगता है कि इस मसले को बातचीत से सुलझा लिया जाना चाहिए। केवल राम से आग्रह है कि वो छोटे हैं, खुद आगे आएं और पहल कर शास्त्री जी की नाराजगी को दूर करें...
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आप को मेरी ओर से नमस्ते
जवाब देंहटाएंआप तो हिंदी ब्लौग जगद के पितामाह हैं। आप का गुस्सा शायद उचित है। पर हिंदी ब्लौग जगत में आप की अपनी पहचान व नाम है। आप के ब्लौगिंग छोड़ने से वैब पर हिंदी के प्रचार में कमी आयेगी...
मुझे निजी रूप से आप का निर्नय सुनकर दुख हुआ...
सादर।
इस विषय पर आप गंभीरता से विचार कीजिये। मेरा मानना है हमें अपना काम करते रहना चाहिए बिना किसी की परवाह किये। फिर आप तो खुद ही सक्षम है फिर किसी का मुहं क्या ताकना, क्या सुनना, क्यों सुनना।। सादर
जवाब देंहटाएंअफ़सोसनाक...
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