साँसें धोखा दे
जाती हैं,
साँसों पर विश्वास
न करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
जो कर्कश सुर में
चिल्लाते,
उनको काग पुकारा
जाता।
जो खग मधुर गान को
गाते,
उनका स्वर कलरव
कहलाता।
हृदयहीन धनवान
व्यक्ति से,
कभी कोई अरदास न
करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
पर्वत की छाती से निकले,
कुछ झरने बन जाते
गंगा।
पाक-साफ वो ही
कहलाते,
जिनका तन-मन होता चंगा।
अपने मन से
जोड़-तोड़कर,
शब्दों का विन्यास
न करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
पल-पल जिनके बोल
बदलते,
वो क्या जाने
सुख-दुख सहना।
जो विद्या के बैल
बने हैं,
उनको अध्यापक मत
कहना।
देख जमाने की हालत
को,
मन को कभी उदास न
करना।।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
जब से ज्ञानी मौन
हो गये,
अज्ञानी वाचाल हो
गये।
धनवानों के
बन्दीघर में,
पढ़े-लिखे बदहाल
हो गये।
जनसेवक पर दर पर
जाकर,
सत्य कभी उद् भाष न
करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 19 जनवरी 2018
गीत "साँसों पर विश्वास न करना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंदुनियां बदरंग न हो इसलिए सपने देखते हैं सभी लेकिन ये किस्मत की बात है कितने सपने पूरे हो पाते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएं