“DEATH IS A FISHERMAN"
BY
BENJAMIN FRANKLIN
काव्यानुवादक- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दुनिया एक सरोवर है,
और मृत्यु इक मछुआरा है! हम मछली हैं अवश-विवश सी, हमें जाल ने मारा है!! मछुआरे को हम जीवों पर कभी दया नहीं आती है! हमें पकड़कर खा जाने को, जान नहीं घबराती है!! तालाबों में झूम रहा है जाल मृत्यु बन घूम रहा है! मछुआरा चुन-चुन कर सबको बेदर्दी से भून रहा है!! आये हैं तो जाना होगा मृत्यु अवश्यम्भावी है! इक दिन तो फँसना ही होगा, जाल नहीं सद्-भावी है!! |
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मंगलवार, 2 जनवरी 2018
भावानुवाद "“DEATH IS A FISHERMAN" By-BENJAMIN FRANKLIN"
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