बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।।
दोपायो से हो रहे, चौपाये भयभीत।
मिल पायेगा फिर कहाँ, दूध-दही नवनीत।।
बिना बोलते जानवर, करते लोग शहीद।
फिर ऐसे त्यौहार को, कहें शान से ईद।।
होंगे ऐसे पर्व क्या, सबके लिए मुफीद।
जिसमें बहता खून हो, कैसी है वो ईद।।
जब आयेंगे देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल।
आशा है गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।।
हाथ थाम कर अनुज का, जब चलते बलराम।
धरा और आकाश में, मानो हों घनश्याम।।
जल थल में क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल।
नृत्य करेंगी गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।।
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सोमवार, 27 अगस्त 2018
दोहे "आया भादौ मास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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भादो का मनभावन वर्णन। बधाई गुरु जी
जवाब देंहटाएंगोपाला कही कही के माइ बजावै थाल |
जवाब देंहटाएंजोइ पालै गौवन कू सोइ होत गोपाल || ५ ||
भावार्थ : - 'आँखिन के आँधरे नाम नैनसुख' गोपाल' नाम रख लेने भर से कोई गोपाल नहीं हो जाता | जो वास्तव में गौवों का पालन व् पूजन करता है वही गोपाल है |