शीतल-सुखद पहाड़ में, चढ़ो चढ़ाई-ढाल।
शान उत्तराखण्ड की, प्यारा नैनीताल।।
मई-जून की तपिश से, तन जब हो बेहाल।
जाओ ठण्डक देखने, तब तुम नैनीताल।।
नयना देवी का जहाँ, मन्दिर बहुत विशाल।
नौकायन के है लिए, गहरा जल का ताल।।
भीमताल, गिरिताल है, यहाँ नकुचियाताल।
कुदरत का है अजूबा, अपना नैनीताल।।
न्यायालय है प्रान्त का, आते यहाँ वकील।
सबके मन को मोहती, नीली नैनी झील।।
अद्भुत छटा पहाड़ की, सीधे-सादे लोग।
शीतल छाया चीड़ की, तन को करे निरोग।।
खिलता यहाँ बुराँश है, शीतल काफल पेय।
आदिकाल से हिमालय, पर्वत रहा अजेय।।
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मंगलवार, 11 जून 2019
दोहे "अपना नैनीताल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंपहाड़ों की खूबसूरती बखूबी बयाँ हुई है
जवाब देंहटाएंवाह ... नेनितल को की खूबसूरत बयां किया है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3365 दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
शानदार रचना में नैनिताल की खूबसूरती झलक रही है।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर लेख
जवाब देंहटाएं