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बहुत ही सुन्दर संदेश पूर्ण रचना..समसामयिक भी..आपको मेरा प्रणाम..
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१३-०२-२०२१) को 'वक्त के निशाँ' (चर्चा अंक- ३९७६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
बहुत सुंदर संदेश..
जवाब देंहटाएंयुवाओं को प्रेरणा देती रचना..
अपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग
जवाब देंहटाएंआलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग।।
मार्गदर्शन देता दोहा, साधुवाद !!!!
पश्चिम के परिवेश की, ले करके हम आड़।
जवाब देंहटाएंप्रणय दिवस के नाम पर, करते हैं खिलवाड़।।
बहुत सही। प्रेरक।
ऐसे ही दोहों की आज आवश्यकता है।
सादर नमन आदरणीय ❗🙏❗
- डॉ शरद सिंह
सचमुच प्रेरक सटीक! पारम्परिक टूटते मूल्यों पर सही दृष्टिपात।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, अद्भुत दोहों में कह दी सारी बात..कि ..
जवाब देंहटाएंअपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
आलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग।। .. फिर बहुरेंगे निज सभ्यता के दिन
दोहरे नश्तर से की गई उचित शल्यक्रिया
जवाब देंहटाएंपश्चिम के परिवेश की, ले करके हम आड़।
जवाब देंहटाएंप्रणय दिवस के नाम पर, करते हैं खिलवाड़।।
बिलकुल सही कहा आपने सर,
सुंदर संदेश देती रचना,सादर नमन आपको