कैसे फूल खिलें उपवन में? -- द्वार कामना से संचित है, हृदय भावना से वंचित है, प्यार वासना से रंजित है, सन्नाटा पसरा गुलशन में। कैसे फूल खिलें उपवन में? -- सूरज शीतलता बरसाता, चन्दा अगन लगाता जाता, पागल षटपद शोर मचाता, धूमिल तारे नीलगगन में। कैसे फूल खिलें उपवन में? -- युग केवल अभिलाषा का है, बिगड़ गया सुर भाषा का है, जीवन नाम निराशा का है, कोयल रोती है कानन में। कैसे फूल खिलें उपवन में? -- अंग और प्रत्यंग वही हैं, पहले जैसे रंग नहीं हैं, जीने के वो ढंग नहीं हैं, काँटे उलझे हैं दामन में। कैसे फूल खिलें उपवन में? -- मौसम भी अनुरूप नहीं है, चमकदार अब धूप नहीं है, तेजस्वी अब “रूप” नहीं है, पात झर गये मस्त पवन में। कैसे फूल खिलें उपवन में? -- |
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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021
गीत "कोयल रोती है कानन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह, क्या खूब लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत..मनमोहक..
जवाब देंहटाएंअंग और प्रत्यंग वही हैं,
जवाब देंहटाएंपहले जैसे रंग नहीं हैं,
जीने के वो ढंग नहीं हैं,
काँटे उलझे हैं दामन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?..सारगर्भित संदेश देती सुंदर रचना..
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
मौसम भी अनुरूप नहीं है,
जवाब देंहटाएंचमकदार अब धूप नहीं है,
तेजस्वी अब “रूप” नहीं है,
पात झर गये मस्त पवन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
बहुत सुंदर गीत आदरणीय .. नमन 🙏
युग केवल अभिलाषा का है,
जवाब देंहटाएंबिगड़ गया सुर भाषा का है,
जीवन नाम निराशा का है,
कोयल रोती है कानन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
प्रकृति और समसामयिक वातावरण का सुंदर सामंजस्य प्रस्तुत करती हृदयस्पर्शी रचना...
सादर नमन 🌹🙏🌹
-डॉ शरद सिंह
बहुत सुंदर हॄदयस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्सी गीत बहुत सुंदर आदरणीय।
जवाब देंहटाएं