बाँट रहा है गन्ध को, सबको हर सिंगार।। -- केसरिया टीका लगा, हँसता हरसिंगार। अमल-धवल ये सुमन है, कुदरत का उपहार।। -- नतमस्तक होकर सदा, करता है मनुहार। धरती पर बिखरा हुआ, लुटा रहा है प्यार।। -- वैद्यराज के रूप में, हरता सबके रोग। वातव्याधि को दूर कर, करता बदन निरोग।। -- कलम बना कर डाल की, मिट्टी में दो गाड़। नित्य नेह से सींचिए, उग जायेगा झाड़।। -- माटी कैसी भी रहे, नहीं इसे परहेज। बिरुआ हरसिंगार का, रखना सदा सहेज।। -- कुछ वर्षों के बाद में, तन इसका गदराय। पौधा हरसिंगार का, महावृक्ष बन जाय।। -- सबके मन को मोहते, सुन्दर-सुन्दर फूल। पादप की नित-नियम से, सदा सींचना मूल।। -- शस्यश्यामला धरा पर, करना यह उपकार। पेड़ लगाकर कीजिए, धरती का सिंगार।। -- |
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शनिवार, 6 फ़रवरी 2021
दोहे "हरसिंगार के फूल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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माटी कैसी भी रहे, नहीं इसे परहेज।
जवाब देंहटाएंबिरुआ हरसिंगार का, रखना सदा सहेज।।
हरसिंगार की खूबियों को बड़ी खूबसूरती से पिरोया है आपने अपने दोहों में आदरणीय !
सादर नमन 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
शस्यश्यामला धरा पर, करना यह उपकार।
जवाब देंहटाएंपेड़ लगाकर कीजिए, धरती का सिंगार।।
सुंदर संदेश देती रचना सादर नमन सर
कृपया शुक्रवार के स्थान पर रविवार पढ़े । धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंसुंदर सन्देश देती रचना।
जवाब देंहटाएंवैद्यराज के रूप में, हरता सबके रोग।
जवाब देंहटाएंवातव्याधि को दूर कर, करता बदन निरोग।।
हरसिंगार की महत्ता बताते लाजवाब दोहे...
वाह!!!
प्रणाम शास्त्री जी, हरसिंंगार को उगाने का सहज तरीका..इतने अद्भुत दोहे के माध्यम से..वाह
जवाब देंहटाएंहरसिंगार की अनूठी विशेषताओं का सुंदर वर्णन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसबके मन को मोहते, सुन्दर-सुन्दर फूल।
जवाब देंहटाएंपादप की नित-नियम से, सदा सींचना मूल।।
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शस्यश्यामला धरा पर, करना यह उपकार।
पेड़ लगाकर कीजिए, धरती का सिंगार।।
वाह मनमोहक रचना! 🙏
सुंदर सृजन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंहरसिंगार से धरती का श्रृंगार करते हुए बहुत सुंदर दोहे ।
जवाब देंहटाएं