जब खारे आँसू आते हैं। अन्तस में उपजी पीड़ा की, पूरी कथा सुनाते हैं।। -- धीर-वीर-गम्भीर इन्हें, चतुराई से पी लेते हैं, राज़ दबाकर सीने में, अपने लब को सी लेते हैं, पीड़ा को उपहार समझ, चुपचाप पीर सह जाते हैं। अन्तस में उपजी पीड़ा की, पूरी कथा सुनाते हैं।। -- चंचल मन है, भोलातन है, नयन बहुत मतवाले हैं, देख रहे दुनियादारी को, इनके खेल निराले हैं, उनसे नेह हमेशा होता, जो आँखों को भाते हैं। अन्तस में उपजी पीड़ा की, पूरी कथा सुनाते हैं।। -- मन के नभ पर जब, बादल की सूरत गहराती है, आँखों के दर्पण में, उसकी मूरत आ जाती है, जैसी होती मन की हालत, वैसा “रूप” दिखाते हैं। अन्तस में उपजी पीड़ा की, पूरी कथा सुनाते हैं।। -- |
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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021
गीत "आँसू की कथा-व्यथा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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अश्रुओं के स्वभाव का यथार्थ चित्रण है इस मर्मस्पर्शी गीत में । अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएं--
जवाब देंहटाएंधीर-वीर-गम्भीर इन्हें,
चतुराई से पी लेते हैं,
राज़ दबाकर सीने में,
अपने लब को सी लेते हैं,
पीड़ा को उपहार समझ,
चुपचाप पीर सह जाते हैं।
अन्तस में उपजी पीड़ा की,
पूरी कथा सुनाते हैं।।..अंतर्मन तक पहुंचती एवं सत्य से रुबरू कराती सुन्दर रचना..आपको मेरा नमन..
मन के नभ पर जब,
जवाब देंहटाएंबादल की सूरत गहराती है,
आँखों के दर्पण में,
उसकी मूरत आ जाती है,
जैसी होती मन की हालत,
वैसा “रूप” दिखाते हैं।
अन्तस में उपजी पीड़ा की,
पूरी कथा सुनाते हैं।।
आदरणीय, इसे पढ़ कर जयशंकर प्रसाद के "आंसू" काव्यसंग्रह की याद ताज़ा हो गई... आपने नई दृष्टि से, नये उपमानों से आंसू को गीत में जिस तरह सृजित किया है वह श्लाघनीय है।
अपने नाम "रूप" का प्रयोग भी बहुत स्वाभाविक और सुंदर ढंग से किया है आपने ...
बहुत शुभकामनाएं,
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
अन्तस पीड़ा का बाहर निकलने का मार्ग ऑंखें ही होती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंआँसू तेजाब जैसे
जवाब देंहटाएंरहीम कवि ने भी कहा है -जाहि निकारो गेह से कस न भेद कहि देइ.
जवाब देंहटाएंमन की पीड़ा को आँसू सहज ही अभिव्यक्त कर देते हैं ।सटीक ।
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, मन के भाव इतनी खूबसूरती से उड़ेल दिये आपने वाह...चंचल मन है, भोलातन है,
जवाब देंहटाएंनयन बहुत मतवाले हैं,
देख रहे दुनियादारी को,
इनके खेल निराले हैं,
उनसे नेह हमेशा होता,
जो आँखों को भाते हैं।
अन्तस में उपजी पीड़ा की,
पूरी कथा सुनाते हैं।।...बहुत खूब
आदरणीय, आंसू सचमुच मन की जुबान होते हैं। अप्रतिम रचना!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंबेहद हृदयस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी सृजन .
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