-- सूरज ने है रूप दिखाया। गर्मी ने तन-मन झुलसाया।। -- धरती जलती तापमान से। आग बरसती आसमान से।। -- लेकिन है भगवान कृपालू। सबका रखता ध्यान दयालू।। -- कुदरत ने फल उपजाये हैं। जो सबके मन को भाये हैं।। -- सूखी नदियों की रेती है। लेकिन उनमें भी खेती है।। -- ककड़ी-खीरा, खरबूजा हैं। बहुत रसीले तरबूजा हैं।। -- रखते सबको सदा निरोगी। नीम्बू पानी है उपयोगी।। -- बेल और शहतूत निराले। तन को ठण्डक देने वाले।। -- नागर हो चाहे देहाती। लीची सबको बहुत लुभाती।। -- सेब-सन्तरा है गुणकारी। पना आम का है हितकारी।। -- मौसम के शीतल फल खाओ। लू-गर्मी को दूर भगाओ।। -- |
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शनिवार, 6 मई 2023
बालकविता "ककड़ी-खीरा, खरबूजा, बहुत रसीले हैं तरबूजा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०७-०५-२०२३) को 'समय जो बीत रहा है'(चर्चा अंक -४६६१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं