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नई-नई कोंपलें आ गईं, सेंमल और कचनार में।
जवाब देंहटाएंआज गुनगुनी धूप सेंककर, मौसम डूबा प्यार में।।
बहुत ही सुन्दर रचना है
बधाई स्वीकारे
शीतकाल का अन्त हो गया,
जवाब देंहटाएंसुखदायी बसन्त हो गया,
कोयल ने आवाज लगाई,
कौए ने पाँखें खुजलाई.
बहुत पसंद आया डा0 साहिब। धन्यवाद
आभार शास्त्री जी आपकी लेखनी को नमन - ऋतुराज के आगमन को आपने साकार कर दिया.
जवाब देंहटाएंआज गुनगुनी धूप सेंककर, मौसम डूबा प्यार में।nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है बधाई आपको वसंतोत्सव की
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
गीतों ने कुण्डी खटकाई, उर मन्दिर के द्वार में।
जवाब देंहटाएंआज गुनगुनी धूप सेंककर, मौसम डूबा प्यार में।।
-बहुत सुन्दर गीत!! आनन्द आया.
वाह बहुत ही सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर मोहित कर देने वाली आपकी रचना श्रेष्ठ है !!
बधाई ..!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, ओर चित्र भी बहुत लुभावने, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत चित्रों के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो बेहद पसंद आया! बधाई!
जवाब देंहटाएंसुबह-सवेरे चिड़ियाँ बोली,
जवाब देंहटाएंकानों में मिश्री सी घोली,
गेहूँ पर बालियाँ झूलतीं,
सरसों की डालियाँ फूलतीं,
नई-नई कोंपलें आ गईं, सेंमल और कचनार में।
आज गुनगुनी धूप सेंककर, मौसम डूबा प्यार में।
मौसम की खुमारी को... बहुत ही सुंदर शब्दों में बयान किया है आपने....
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www.lekhnee.blogspot.com
Regards...
Mahfooz..
कविता बेहद पसंद आई।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर रचना है .. वसंत के स्वागत में !!
जवाब देंहटाएंchaliye kam se kam dhoop ne darshan to diye!
जवाब देंहटाएंwaah waah.........bahut hi sundar mausmi geet suna diya aaj to........bilkul mausam ki tahan gunguna.
जवाब देंहटाएंआज सुनहरी धूप और ऊपर से आपकी सुन्दर कविता....बसंत ऋतु आ ही गयी....सुन्दर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....मन आनन्दित हो गया
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