मुश्किल हैं विज्ञान, गणित, हिन्दी ने बहुत सताया है। अंग्रेजी की देख जटिलता, मेरा मन घबराया है।। भूगोल और इतिहास मुझे, बिल्कुल भी नही सुहाते हैं। श्लोकों के कठिन अर्थ, मुझको करने नही आते हैं।। देखी नही किताब उठाकर, खेल-कूद में समय गँवाया, अब सिर पर आ गई परीक्षा, माथा मेरा चकराया।। बिना पढ़े ही मुझको, सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं। किस्से और कहानी से ही, कागज-कॉपी भरने हैं।। नाहक अपना समय गँवाया, मैं यह खूब मानता हूँ। स्वाद शून्य का चखना होगा, मैं यह खूब जानता हूँ।। तन्दरुस्ती के लिए खेलना, सबको बहुत जरूरी है। किन्तु परीक्षा की खातिर, पढ़ना-लिखना मजबूरी है।। |
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बुधवार, 3 मार्च 2010
“पढ़ना-लिखना मजबूरी है!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सही कहा आपने , अच्छी कविता शास्त्री जी !
हर कोई यहाँ सचिन और धोनी की किस्मत लेकर नहीं आता !
आदरणीय शास्त्री जी.... आपको बहुत फोन लगाया ....लेकिन आपने नहीं उठाया.... आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.... मुझे ऐसा लगता है कि आपको सिर्फ एक शब्द दे दिया जाए.... और आप उस पर कविता तैयार कर देते हैं.... आपकी इस लेखनी को सादर नमन....
जवाब देंहटाएंसादर
महफूज़..
bahut sundar sandesh deti kavita hai.........padhna likhna majboori nhi jaroori hai bas itni si baat yadi bachche samajh jayein to jeevan safal ho jaye.
जवाब देंहटाएंतन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सुन्दर शिक्षा दी है आपने बच्चों के लिये। धन्यवाद्
बहुत ही सुन्दर सन्देश देते हुए एक उम्दा रचना पेश किया है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सुन्दर ..
आपकी इस लेखनी को सादर नमन....
nice
जवाब देंहटाएंkaksha ki yaad aa gayi....
जवाब देंहटाएंमुझे बचपन की वह कहावत यद आ गई ..पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब
जवाब देंहटाएंतंदुरुस्ती के लिए खेला और परीक्षा के लिए पढना लिखना जरुरी है ...बहुत सही ...
जवाब देंहटाएं@ sharad kokas ji
खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब ...??...
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।।
बहुत ख़ूब!