मन की वीणा को निद्रा में, अभिनव तार सजाने दो! सपनों को मत रोको! उनको सहज-भाव से आने दो!! स्वप्न अगर मर गये, जिन्दगी टूट जायेगी, स्वप्न अगर झर गये, बन्दगी रूठ जायेगी, मजबूती से इनको पकड़ो, कभी दूर मत जाने दो! सपनो को मत रोको! उनको सहज-भाव से आने दो!! सपना इक ऐसा पाखी है, पर जिसके हैं टूट गये, क्षितिज उड़ानों के मन्सूबे, उससे सारे रूठ गये, पल-दो-पल को ही उसको, दम लेने दो, सुस्ताने दो! सपनो को मत रोको! उनको सहज-भाव से आने दो!! जीवन तो बंजर धरती है, बर्फ यहाँ पर रुकी हुई, मत ढूँढो इसमें हरियाली, यहाँ फसल नही उगी हुई, बर्फ छँटेगा, भरम हटेगा. गर्म हवा को आने दो! सपनो को मत रोको! उनको सहज-भाव से आने दो!! |
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बुधवार, 31 मार्च 2010
“सपनों को मत रोको!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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सपनों को मत रोको!
जवाब देंहटाएंउनको सहज-भाव से आने दो
nice..........................
बहुत उम्दा गीत!!
जवाब देंहटाएंस्वप्न अगर मर गये,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी टूट जायेगी,
जिन्दगी स्वप्नो की बागडोर के सहारे ही तो आगे बढती है.
सुन्दर गीत
बहुत लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मन की वीणा को निद्रा में,
जवाब देंहटाएंअभिनव तार सजाने दो!
सपनों को मत रोको!
उनको सहज-भाव से आने दो!!
सपनो पर बहुत खूबसूरत कविता....मन आनंदित हो गया....बधाई
स्वप्न अगर मर गये,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी टूट जायेगी,
स्वप्न अगर झर गये,
बन्दगी रूठ जायेगी,
मजबूती से इनको पकड़ो,
कभी दूर मत जाने दो!
वाह वाह बहुत खूब! लाजवाब!
kya khoob keha sir :)
जवाब देंहटाएंठीक है, क्योंकि सपने भी आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं.
जवाब देंहटाएंस्वप्न अगर मर गये,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी टूट जायेगी,
स्वप्न अगर झर गये,
बन्दगी रूठ जायेगी,
इतना सुन्दर गीत सिर्फ़ आप ही लिख सकते हैं………॥बेहद खूबसूरत्।
मन की वीणा को निद्रा में,
जवाब देंहटाएंअभिनव तार सजाने दो!
सपनों को मत रोको!
उनको सहज-भाव से आने दो!!
...............लाजवाब,सुन्दर.
मन की वीणा को निद्रा में,
जवाब देंहटाएंअभिनव तार सजाने दो!
सपनों को मत रोको,
उनको सहज-भाव से आने दो!
--
आपके कुछ गीतों की शुरूआत अद्वितीय होती है!
स्वप्न अगर मर गये,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी टूट जायेगी,
स्वप्न अगर झर गये,
बन्दगी रूठ जायेगी,
bahut sundar geet ..laajwaab..!!
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ! शुभकामनायें आपको !
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