मेरी साईकिल दो चक्कों की प्यारी-प्यारी। आओ इसकी करें सवारी।। साईकिल की शान निराली। इसकी चाल बहुत मतवाली।। बस्ते का यह भार उठाती। मुझको विद्यालय पहुँचाती।। पैडल मारो जोर लगाओ। मस्त चाल से इसे चलाओ।। सड़क देख कर खूब मचलती। पगडण्डी पर सरपट चलती। हटो-बचो मत शब्द पुकारो। भीड़ देखकर घण्टी मारो।। अच्छे अंक क्लास में लाओ। छुट्टी में इसको टहलाओ।। यह पैट्रोल नहीं है खाती। बिन ईंधन के चलती जाती।। |
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शुक्रवार, 25 मार्च 2011
"आओ इसकी करें सवारी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह वाह बहुत ही सुन्दर बाल रचना।
जवाब देंहटाएंhar vishay per aap behatreen likhte hain.
जवाब देंहटाएंमेरा शब्दकोष आपने खत्म करा दिया...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता..आभार
जवाब देंहटाएंbal-man ki sundar prastuti....
जवाब देंहटाएंबड़ी सुन्दर साइकिल कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता....
जवाब देंहटाएंsunder bal kvita
जवाब देंहटाएंअच्छे अंक क्लास में लाओ।
छुट्टी में इसको टहलाओ।।
bachchon ko prerit krti panktiyan
bdhaai ho