सर्दी जाते-जाते, सबको दे जाएगी नवउपहार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।। गेंहूँ भी लहरायेंगे, फिर से सरसों फूलेगी, टेसू-सेमल की कलियाँ, फिर डाली पर झूलेंगी, मिलकर फाग मनाएगा, फिर से पूरा परिवार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।१। चन्दा देगा सुखद चाँदनी, सूरज हँसी हँसेगा, जड़-चेतन के नयनों में, फिर से मधुमास बसेगा, जीवन के यापन करने को, मिल जाएगा फिर आधार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।२। प्रीत-रीत में सने, बसन्ती रँग फिर से बरसेंगे, पा करके धन-धान्य, हमारे मनवा फिर हर्षेंगे, फिर उदास चेहरों पर, आ जायेगा नवल निखार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।३। नव सम्वत्सर आयेगा, फिर से नवरात्र मनेंगे, नयी ऊर्जा मन में होगी, बिगड़े काम बनेंगे, सपनों के संकल्प सलोने, फिर होंगे साकार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।४। भाँति-भाँति के सुमन-सजीले, महकेंगे आँगन में, मधुमक्खी, तितली-भँवरे, फिर चहकेंगे उपवन में, सम्बन्धों के नये सूत्र , फिर से लेंगे आकार। जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।५। नये-नये सम्बल होंगे, नूतन आयाम बनेंगे, हँसी-खुशी के साथ हमारे, सब त्यौहार मनेंगे, आपस में सौहार्द्र बढ़ेगा, भायेगा तब ये संसार। |
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शुक्रवार, 6 जनवरी 2012
"भायेगा तब ये संसार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
Photo umda,
जवाब देंहटाएंapki rachna umda.
Waah...
विश्व संस्कृति की तरह ही भारतीय संस्कृति भी बड़ी अद्भुत है।
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
बहुत प्यारी आशावादी रचना...
जवाब देंहटाएंसुबह की शुभ शुरुआत..
सादर.
पतझड़ के बाद वसंत आता ही है ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र और कविता!
आशान्वित करती बढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंbahut pyari rachna ..basant ke aagman par jab dharti kar uthti shringaar .. bahut khoobsoorat ..
जवाब देंहटाएंNav varsh par aapko mangalkaamnayen
वाह! बहुत ही बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति,सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंnew post--जिन्दगीं--
khoobsurat rachna hai malik
जवाब देंहटाएंआशा का संचार करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंरूपचन्द्र शास्त्री मयंक shared a post with you.
जवाब देंहटाएं"भायेगा तब ये संसार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सर्दी जाते-जाते, सबको दे जाएगी नवउपहार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।।
गेंहूँ भी लहरायेंगे, फिर से सरसों फूलेगी,
टेसू-सेमल की कलियाँ, फिर डाली पर झूलेंगी,
मिलकर फाग मनाएगा, फिर से पूरा परिवार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।१।
चन्दा देगा सुखद चाँदनी, सूरज हँसी हँसेगा,
जड़-चेतन के नयनों में, फिर से मधुमास बसेगा,
जीवन यापन करने का मिल जाएगा फिर से आधार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।२।
प्रीत-रीत में सने, बसन्ती रँग फिर से बरसेंगे,
पा करके धन-धान्य, हमारे मनवा फिर हर्षेंगे,
फिर उदास चेहरों पर, आ जायेगा नवल निखार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।३।
नव सम्वत्सर आयेगा, फिर से नवरात्र मनेंगे,
नयी ऊर्जा मन में होगी, बिगड़े काम बनेंगे,
सपनों के संकल्प सलोने, फिर होंगे साकार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।४।
भाँति-भाँति के सुमन-सजीले, महकेंगे आँगल में,
मधुमक्खी, तितली-भँवरे, फिर चहकेंगे उपवन में,
सम्बन्धों के नये सूत्र , फिर से लेंगे आकार।
जन-जीवन में छाएगा, फिर वासन्ती शृंगार।५।
प्रकृति नटी के सौन्दर्य को मुखरित करती बढ़िया रचना .
बहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंwh!!! kya kahne hain...:)
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही बढ़िया...........
जवाब देंहटाएंउत्साह के नवल रंग जगाती कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएं'जन जीवन में छाएगा वासंती श्रृंगार "
जवाब देंहटाएंसदा की तरह जीवंत रचना | आपके ब्लॉग पर आकर आपकी रचनाओं को पढ़ कर पुँनः उल्लसित हो जाती हूँ |
बहूत सुंदर रचना है..
जवाब देंहटाएंआंखो के सामने तो जैसे प्रकृती का सुंदर चित्र आ गया...
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 7/1/2012 को होगी । कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें। आभार.
जवाब देंहटाएंप्रकृति का नया रूप और उस का बेहतरीन चित्रण.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंवाह ! वसंत की तो छटा ही निराली है ..उसपर सरसों महकती ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रण किया है..
ऋतू बंसल
kalamdaan.blogspot.com
शानदार गीत सर...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई..
bahut khoobsoorat rachna
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गीत ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबसंत आने में थोडा सा वक्त अभी बाकि हैं
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पेशकश
बहुत सुंदर मन के भाव ...
जवाब देंहटाएंप्रभावित करती रचना ...