घर हमारे बने तबेले हैं ज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं तन्त्र से लोक का नहीं नाता हर जगह दासता के मेले हैं बीन कचरा बड़ा हुआ बचपन नौनिहाल खींच रहे ठेले हैं है निठल्लों को रोज़गार यहाँ शिक्षितों के लिए अधेले हैं अब विरासत में सियासत पाकर ख़ानदानों ने दाँव खेलें हैं |
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गुरुवार, 26 जनवरी 2012
"ज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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राह नहीं आसान जिन्दगी..
जवाब देंहटाएंआपने सच कहा,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,
WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
वाकई...जिंदगी टफ है...
जवाब देंहटाएंहंस चुग रहा दाना दुनका, कौवा मोती खाता है.
जवाब देंहटाएंजिंदगी कैसी है पहेली हाय....
जवाब देंहटाएंyahi hai jindgi ka sach aur isako jeena aur bhi kathin hai jab desh kee bagdor aise logon ke hath men ho jinhe sirph aur sirph kursi dikhaai de rahi ho.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
जवाब देंहटाएंमुबारक यह गण निरपेक्ष तंत्र .
जवाब देंहटाएंतन्त्र से लोक का नहीं नाता
हर जगह दासता के मेले हैं
inhi ka hk to yhan yaro
जवाब देंहटाएंkha gye neta hi akele hain
unhe kya hai pta nhi sara inhi ke postr me chahere hain
onhi ke sr paanv ko rkh kr
bne vo mntri chahete hain
bhut 2 bdhai
बहुत संजीदा रचना है और चित्र भी ....
जवाब देंहटाएंहकीकत बया करती सुन्दर रचना है
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२८) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ,
जवाब देंहटाएंआभार !!
See :
ब्लॉगर्स मीट वीकली (28) God in Ved & Quran
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/28-god-in-ved-quran.html
अब विरासत में सियासत पाकर
जवाब देंहटाएंख़ानदानों ने दाँव खेलें हैं
bahut behtreen jabardast kataksh mara hai shastri ji.rachna bahut shreshth hai.