नम्रता उदारता का
पाठ, अब पढ़ाये कौन?
उग्रवादी छिपे जहाँ साधुओं के वेश में। साधु और असाधु की पहचान अब कैसे हो, दोनो ही सुसज्जित हैं, दाढ़ी और केश में। कैसे खेलें रंग-औ-फाग, खून के लगे हैं दाग, नगर-प्रान्त, गली-गाँव, घिरे हत्या-क्लेश में। गांधी का अहिंसावाद, नेहरू जी का शान्तिवाद, हुए निष्प्राण, हिंसा के परिवेश में । मानवता की बलि चढ़ी, एकता में फूट पड़ी, प्रजातन्त्र हुआ बदनाम देश-देश में। मासूमों की हत्यायें रोज-रोज होती यहाँ, कैसे जी पायेंगे, कसाइयों के देश में। |
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गुरुवार, 4 जुलाई 2013
"कवित्त-प्रजातन्त्र हुआ बदनाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मासूमों की हत्याये दिन-प्रतिदिन होती,
जवाब देंहटाएंकैसे जी पायेंगे, कसाइयों के देश में।...बहुत सुन्दर और सटीक...
Kalyug Charam par hai,
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सशक्त प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअपने घर में बोझ बढ़ रहा,
जवाब देंहटाएंकिसने जग का काम दिया है?
.सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने . आभार तवज्जह देना ''शालिनी'' की तहकीकात को ,
जवाब देंहटाएंआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
.बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने आभार तवज्जह देना ''शालिनी'' की तहकीकात को ,
जवाब देंहटाएंआप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
सटीक लेखन....
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