असली गाँधी ने किए, खूब कमाल-धमाल।
अब का गाँघी देश
में, करता खूब बबाल।।
तब के गाँधी ने किया,
देश दासता मुक्त।
अब का गाँधी है
नहीं, शासन के उपयुक्त।।
तब के गाँधी को
मिला, बापू का सम्मान।
अब गाँधी पप्पू
बना, सहता है अपमान।।
बनकर उभरा देश में,
जब भी तानाशाह।
किया प्रजा के
तन्त्र ने, उसको सदा तबाह।।
प्रजा अगर अनुकूल
हो, रहे सलामत राज।
सारे शासक पहनते, काँटों
के ही ताज।।
नौकरशाहों पर
यहाँ, कभी न करना नाज।
एक जरा सी चूक से,
छिन जाते हैं ताज।।
मनमानी से शासकों,
अब आ जाओ बाज।
लील लिए महँगाई
ने, बड़े-बड़ों के राज।।
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गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018
दोहे "छिन जाते हैं ताज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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असली गाँधी ने किए, खूब कमाल-धमाल।
जवाब देंहटाएंअब का गाँघी देश में, करता खूब बबाल।।
तब के गाँधी ने किया, देश दासता मुक्त।
अब का गाँधी है नहीं, शासन के उपयुक्त।।
तब के गाँधी को मिला, बापू का सम्मान।
अब गाँधी पप्पू बना, सहता है अपमान।।
बनकर उभरा देश में, जब भी तानाशाह।
किया प्रजा के तन्त्र ने, उसको सदा तबाह।।
प्रजा अगर अनुकूल हो, रहे सलामत राज।
सारे शासक पहनते, काँटों के ही ताज।।
नौकरशाहों पर यहाँ, कभी न करना नाज।
एक जरा सी चूक से, छिन जाते हैं ताज।।
मनमानी से शासकों, अब आ जाओ बाज।
लील लिए महँगाई ने, बड़े-बड़ों के राज।।
कहते जिस को श्री मान अब का गांधी आप ,
नेहरू का अवशेष है मान लीजिये आप।
करमचंद था महात्मा ,छद्म है ये अवशेष ,
माँ बेटों ने छल लिया सारा अभि -निवेश।
भोले को भी हांकता बम बम ये अवशेष
समझे बैठा है अभी खुद को ये अखि -लेश।
शास्त्री जी के दोहे नै परवाज़ भर रहें हैं ,सतसैया के पार ,इनका रूप अपार।
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