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मना रहे थे लोग जब, होली का त्यौहार।
पौत्र रत्न के रूप में, मुझे मिला उपहार।।
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जन्मदिवस पर पौत्र को, देता हूँ आशीष।
पढ़-लिखकर बन जाइए, वाणी के वागीष।।
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कुलदीपक के साथ में, बँधी हुई ये आस।
तुमसे ही गुलजार है, मेरा ये आवास।।
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सारे जग में देश का, रौशन करना नाम।
नयी सोच के साथ में, करना अच्छे काम।।
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कठिन राह को देखकर, नहीं मानना हार।
दीर्घ आयु की कामना, करता है परिवार।।
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आगे बढ़ने के लिए, रखो इरादे नेक।
उन्नति के खुल जायगें, पथ में द्वार अनेक।।
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दीन-दुखी असहाय का, रखना हरदम ध्यान।
देते हैं श्रमशील को, ज्ञान सदा इंसान।।
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गुरू और माता-पिता, आदर के हैं योग्य।
जिन पर इनकी हो कृपा, वो ही बने सुयोग्य।।
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गुरुवार, 5 मार्च 2020
दोहे "5 मार्च-पौत्र प्राँजल का 22वाँ जन्मदिन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शुभकामनाएं प्राँजल के 22वें जन्मदिवस पर।
जवाब देंहटाएंकठिन राह को देखकर, नहीं मानना हार।
जवाब देंहटाएंदीर्घ आयु की कामना, करता है परिवार।।
शुभेच्छा सम्पन्न अति सुन्दर दोहे । प्रांजल जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
शुभकामनाएं प्रांजल जी को....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ और बधाई। आदरणीय सर, प्रांजल बहुत ही भाग्यशाली हैं जो विरासत में आपके संस्कारों को पाए हैं और कविता के रूप में आपका आशीष उन पर स्नेह की वर्षा कर रहा है।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 06 - 03-2020) को "मिट्टी सी निरीह" (चर्चा अंक - 3632) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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अनीता लागुरी"अनु"
वाह कितने पावन आशीष से भरे सुंदर दोहे ।
जवाब देंहटाएंस्नेही पौत्र को हमसब की ओर से ढेर सा आशीर्वाद और शुभकामनाएं।
हमारी ओर से भी शुभाशीष प्रांजल को!
जवाब देंहटाएंलाजवाब दोहे आशीर्वाद भरे....
जवाब देंहटाएंअनन्त शुभकामनाएं प्रांजल को।